आयुर्वेद कहता है कि बनाना शेक कभी नहीं पीना चाहिए। इसके इस्तेमाल से आप कई बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। हम सभी को लगता है कि गर्मी से राहत पाने और सेहत बनाने का बनाना-शेक से अच्छा विकल्प कुछ और नहीं हो सकता, क्योंकि दूध और केला दोनों ही हेल्दी फूड्स हैं। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आयुर्वेद दूध और केला दोनों को सेहत के लिए अमृत तुल्य बताता है, लेकिन बनाना शेक को सेहत के लिए हानिकारक।
आयुर्वेदाचार्यों का कहना है कि सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में दूध और फलों के संयोग को वर्जित माना गया है। यानी दूध के साथ कभी भी फलों का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि दूध और फलों की प्रकृति अलग-अलग होती है।
दोनों ही शरीर के लिए फायदेमंद हैं, लेकिन इन्हें एकसाथ लेने पर ये शरीर में कई तरह के रोगों की वजह बन सकते हैं। हर फल में थोड़ी-बहुत मात्रा में साइट्रिक एसिड जरूर होता है। या ऐसे अम्ल होते हैं, जो दूध में मिलने पर उसे फाड़ने का काम करते हैं। केले में भी कुछ प्राकृतिक रासायनिक तत्व ऐसे हैं, जो दूध के साथ डायजेस्ट नहीं हो पाते। इस कारण पाचन संबंधी परेशानियां शुरू हो जाती है। केला खाने के यदि एक घंटे बाद आप दूध पिएंगे तो यह आपको अमृत के समान लाभ देगा। आपका पेट साफ रहेगा, शरीर में एनर्जी लेवल बना रहेगा, स्किन हेल्दी होगी और मेटाबॉलिज़म सुचारू रूप से काम करेगा।
बनाना शेक रेग्युलर बेसिस पर पीनेवाले लोगों को अक्सर शरीर के किसी न किसी अंग में दर्द की समस्या हो जाती है और उन्हें पता भी नहीं चलता कि आखिर उन्हें दर्द हो क्यों रहा है? क्योंकि उनके अनुसार, उन्होंने तो सबकुछ हेल्दी खाया है! उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं है कि जो बनाना शेक उन्होंने सेहत बनाने के लिए पिया है, वह उनकी सेहत बिगाड़ सकता है।
केला खाने के तुरंत बाद दूध नहीं पीना चाहिए क्योंकि पेट में पहुंचने के बाद ये दोनों चीजें बनाना शेक की तरह ही नुकसान पहुंचाती हैं। यह कुछ इसी तरह है जैसे कि आप दूध पीने के तुरंत बाद दही खा लें या नींबू पानी पी लें। क्योंकि प्रकृति में एक-दूसरे से अलग फूड्स साथ में खाने पर वे पेट में पहुंचने पर पाचन तंत्र को डिस्टर्ब करते हैं। विरोधाभासी प्रकृति के भोजन का बुरा प्रभाव हर व्यक्ति पर अलग-अलग रूप में दिख सकता है। किसी का पेट खराब हो सकता है, किसो गैस की दिक्कत हो सकती है तो किसी को कब्ज भी हो सकता है। जरूरी नहीं है कि विरोधाभासी खाद्य पदार्थ एक साथ लेनेवाले सभी लोगों को एक जैसी ही समस्या हो। यह सभी के अपने-अपने मेटाबॉलिज्म पर निर्भर करता है।