मरीजों के लिए अस्पताल के साथ ही सरकार ने भी आने-जाने की दी सुविधा

डेयरी वाले दूध व जूते-चप्पलोंसे कोरोना के संक्रमण का खतरा कितना है, देश में वैक्सीन की स्थिति क्या है, ऐसे ही कई सवालों का जवाब डाक्टर अपर्णा अग्रवाल, प्रोफेसर मेडिसिन, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेजने आकाशवाणी को दिए. जानिए कोरोना से जुड़े सवालों के जवाब-

#1) क्या बारिश के मौसम में कोरोनावायरस का संक्रमण बढ़ेगा? अभी इसके बारे में कुछ नहीं बोला जा सकता क्योंकि ये नया वायरस है. कोरोना किस मौसम में क्या व्यवहार करेगा, गर्मी या बारिश में कैसा रहेगा अभी कुछ भी पता नहीं. इसलिए सभी को बचने के लिए सावधानी बरतने की आवश्यकता है.
#2) चिकित्साकर्मी वायरस से कैसे सुरक्षित रहते हैं? जो लोग वायरस से संक्रमित व संदिग्ध मरीजों का उपचार करते हैं वे सभी सिर से पैर तक सारे कवर रहते हैं. लम्बा गाउन वाला पीपीई किट, विशेष प्रकार का चश्मा, फेस शील्ड, हाथ में दस्ताने पहने होते हैं. पैरों में जूता व इसके ऊपर भी एक कवर डाला जाता है. इन सभी उपकरणों को पहनने व उतारने की विशेष ट्रेनिंग दी जाती है. अगर किसी स्वास्थ्य कर्मी की पीपीई किट फटी है उसने नहीं पहन रखी है तो उसे तुरंत चेकअप के लिए भेजा जाता है. साथ ही 14 दिन के लिए क्वारेंटाइन में रखा जाता है.
#3) क्या डेयरी से दूध लाने पर कोरोना का संक्रमण का खतरा है? दूध कोई भी लाएं उसे उबालकर ही इस्तेमाल करें. वैसे अब तक किसी लिक्विड के सेवन से कोरोना संक्रमण का मुद्दा सामने नहीं आया है क्योंकि एक उच्च तापमान पर पहुंचकर वायरस नष्ट हो जाता है.
#4) वरिष्ठ नागरिक जो अस्पताल नहीं जा पा रहे, उनके लिए क्या सलाह देंगी? लॉकडाउन 3.0 में सरकार ने वरिष्ठ नागरिक व प्रेग्नेंट स्त्रियों के लिए खास आदेश दिए हैं कि उन्हें बाहर नहीं निकलना है. इससिए कार्यालय या अस्पताल न जाएं. जो दवाएं ले रहे हैं उसे लेते रहें. डायबिटीज या ब्लड प्रेशर के मरीज हैं तो घर पर ही बीपी व ब्लड शुगर चेक करते रहें. इस बीच उन्हें परेशानी बढ़ती है तो टेलीमेडिसिन की सुविधा प्रारम्भ की गई है. इसके अतिरिक्त आप वॉट्सऐप पर अपनी कठिनाई बता सकते हैं. जो कैंसर के मरीज हैं या जिनकी डायलिसिस या ऐसी बीमारी है जिसमें जाँच महत्वपूर्ण है वे अपने चिकित्सक से संपर्क करके जरूर बताएं. ऐसे मरीजों के लिए अस्पताल के साथ ही सरकार ने भी आने-जाने की सुविधा दी है.
#5) क्या मानसिक रोगियों को वायरस का खतरा ज्यादा है? कोरोना का संक्रमण किसी को भी होने कि सम्भावना है लेकिन जो पैनिक होते हैं, तनाव लेते हैं या किसी भी मानसिक बीमारी से ग्रसित हैं, उनसे संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है. इसलिए तनाव न लें. अगर कोई कठिनाई है तो अपने चिकित्सक से संपर्क रहें व घर में सुरक्षित रहें.
#6) क्या जूते-चप्पल से भी वायरस घर में प्रवेश कर सकता है? बाहर से आएं तो जूते-चप्पल को कुछ घंटों के लिए बाहर ही रखें. घर में अगर चप्पल पहनते हैं तो इसे अलग रखें. इससे अगर बाहर के जूते में वायरस का खतरा होगा भी तो आप सुरक्षित रहेंगे.
#7) लॉकडाउन में ढील दी गई लेकिन बाहर जाने पर क्या सावधानी रखनी है? पहले लॉकडाउन के जो नियम बताए गए हैं उनका पालन करें. सोशल डिस्टेंसिंग से लेकर मास्क लगाने व हाथ धुलने तक सभी जरूरी है. खासकर कार्यालय या दुकान पर जा रहे हैं तो मोबाइल, गाड़ी की चाबी, चश्मा जो भी उसे सैनिटाइज कर लें. दुकान पर हैं तो विशेष हाइजीन का ध्यान रखना है. थोड़ी-थोड़ी देर में हाथ सैनिटाइज जरूर करें क्योंकि कोई भी ग्राहक आ रहा है तो आप नहीं जानते कि वायरस से संक्रमित है या नहीं.
#8) वैक्सीन या दवा को लेकर क्या स्थिति है? पूरी संसार में वैक्सीन पर शोध चल रहा है. कई राष्ट्रों में वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल चल रहा है. लेकिन अभी इसे आने में 10-12 महीने लगेंगे. ट्रायल में साइड इफेक्ट न हो इसकी पुष्टि के बाद ही बाजार में दवा को उतारा जाएगा. इजरायल ने वायरस के विरूद्ध एंटीबॉडी बनाने का दाया किया है, हालांकि अभी यह कितना अच्छा है, ह्यूमन ट्रायल के बाद ही पता चलेगा.
#9) वेंटिलेटर की आवश्यकता कब पड़ती है? ज्यादातर लोग संक्रमण के बाद खुद ही अच्छा हो जाते हैं. करीब 5 फीसदी लोग गंभीर बीमार होते हैं. उनसे से कुछ लोगों को वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ती है. जब शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है तो वेंटिलेटर पर ऑक्सीजन देते हैं. आजकल थर्मल थैरेपी का भी ट्रायल चल रहा है, जो ज्यादा बीमार हैं, उन मरीजों पर प्री-वेंटिलेटर का टेस्ट कर रहे हैं.

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