कोरोनो वायरस महामारी की स्थिति में अस्पतालों को कोविड वार्ड में बदल दिया है व ऐसे में अन्य स्वास्थ्य समस्याओं व उससे जुड़े इलाज व नियमित जाँच के बारे में शक होना सामान्य है. कोरोना वायरस महामारी के बीच उन लोगों को चिंता सता रही है
जो कि डायलिसिस पर हैं. किडनी शरीर का आवश्यक अंग है जो रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को हटाने व शरीर में द्रव के स्तर को नियंत्रित करने का काम करते हैं. किडनी शरीर में फिल्टर के रूप में काम करती हैं, जहां मूत्र त्याग के दौरान अपशिष्ट को मूत्राशय में भेजा जाता है.
डॉ आयुष पांडे का बोलना है कि जब किडनी टॉक्सिन को हटाने का काम करने में फेल हो जाती है, तो डायलिसिस किया जाता है. डायलिसिस एक इलाज है जो एक मशीन का उपयोग करके रक्त को फिल्टर व शुद्ध करता है, जो तरल पदार्थ व इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलन में रखने में मदद करता है.स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस मरीजों के डायलिसिस के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जहां यह प्रशासन के प्रमुखों को आदेश दिए गए हैं कि वे डायलिसिस सुविधा में एक अटैंडेंट के साथ ऐसे मरीजों को सुविधा प्रदान करें. एम्स की डाक्टर वीके राजलक्ष्मी का बोलना है कि जब कई वर्षों तक धीरे-धीरे किडनी की काम करने की क्षमता कम हो जाती है तो उसे क्रोनिक किडनी फेल होना बोला जाता है. इस बीमारी का अंतिम चरण स्थाई रूप से किडनी फेल्योर होता है. क्रोनिक किडनी फेल होने को क्रोनिक रीनल फेल्योर के रूप में भी जाना जाता है. तीन स्थितियां होंगी जहां मरीजों को डायलिसिस की जरूरत होगी. वे मरीज जो पहले से ही डायलिसिस पर हैं, एक्यूट किडनी इन्जूरी के कारण डायलिसिस की आवश्यकता हो व गंभीर रूप से बीमार रोगियों को कंटीन्यूस रीनल रिप्लेसमेंट थेरेपी की आवश्यकता हो.डायलिसिस से गुजरने वाले लोगों के लिए यहां कुछ टिप्स दिए हैं जो कोरोना वायरस महामारी के समय में मदद कर सकते हैं. -यहां बिना किसी अटैंडेंट के अकेले डायलिसिस यूनिट में जाने की सलाह दी जाती है. हालांकि, कुछ मामलों में कोई भी अटैंडेंट उनके साथ डायलिसिस सेंटर में जा सकता है. -संभावित संक्रमण के जोखिम से बचने के लिए अस्पताल जाने के लिए पर्सनल वाहनों का उपयोग करें. -डायलिसिस सेंटर पहुंचने पर कर्मचारियों को सूचित करें व विशिष्ट आदेश मिलने तक बाहर इंतजार करें. -सबसे अधिक जरूरी बात डायलिसिस के लिए इंतजार करते समय सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें. -यदि आदमी में श्वसन संक्रमण के लक्षण हैं, तो स्क्रीनिंग क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले एक मास्क का उपयोग करें व डायलिसिस यूनिट को छोड़ने तक इसे पहने रखें. -हाथ धोने के लिए ठीक विधि अपनाएं. कम से कम 20 सेकंड के लिए अपने हाथों को साबुन व पानी से धोना चाहिए. -खांसते हुए शिष्टाचार का पालन बहुत जरूरी है, जैसे कि कोहनी के अंदर या टिश्यू का प्रयोग करके खांसना या छींकना. -यदि डायलिसिस करवाने वाले आदमी को शक है या कोरोना पॉजिटिव है, तो डायलिसिस पीरियड में डिस्पोजेबल थ्री-लेयर सर्जिकल मास्क पहनना चाहिए. -मरीजों के प्रयोग किए गए टिश्यू को कचरे में फेंक देना चाहिए.
यदि किसी के गले में खराश, खांसी, हाल ही में प्रारम्भ हुआ बुखार, सांस की तकलीफ, बहता नाक, थकान आदि लक्षण हैं तो डायलिसिस सेंटर में आने से पहले डायलिसिस विभाग से सम्पर्क करना महत्वपूर्ण है. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देशों में डायलिसिस करवाने वाले व्यक्तियों के लिए दिशा निर्देशों को शामिल नहीं किया गया है. इसमें प्रशासन के लिए सामान्य दिशा निर्देश, डायलिसिस यूनिट के लिए सामान्य मार्गदर्शन, डायलिसिस स्टाफ व डिसइन्फेक्शन व डिस्पोजल प्रैक्टिसेस शामिल हैं.