होम क्वारंटाइन से बाहर आने के बाद शरीर में होने वाले बदलावों को लेकर हो जाएं सतर्क

लॉकडाउन-तीन में जो इलाके संक्रमणग्रस्त नहीं हैं, वहां लोगों को सामाजिक दूरी के नियम का पालन करते हुए बाहर निकलने की छूट दी गई है. हम सभी 40 दिन तक घर के अंदर सीमित रहे हैं, ऐसे में हमारे शरीर के लिए यह बेहद आवश्यक है कि वह एकदम से बहुत से लोगों के सम्पर्क में न आए.

दुनिया स्वास्थ्य संगठन ने लोगों को सलाह दी है कि होम क्वारंटाइन से बाहर आने के बाद वे अपने शरीर में होने वाले बदलावों को लेकर ज्यादा सतर्क हो जाएं.
अपनी इम्यूनिटी के प्रति सतर्क रहें अगर आपको इलाकाबार मिली छूट में कार्यालय या अन्य महत्वपूर्ण कार्य से बाहर निकलना है तो उससे पहले यह जान लें कि क्या आपका शरीर इसकी अनुमति देता है. अगर आप थोड़ा सा कार्य करने पर ही थक रहे हैं, हर वक्त सुस्ती महसूस हो रही है, मौसम बदलने पर बीमार हो रहे हैं व बीमार होने के बाद जल्दी अच्छा नहीं हो पा रहे तो आप सतर्क हो जाएं क्योंकि ये निर्बल शारीरिक प्रतिरक्षा तंत्र के लक्षण है. आईसीएमआर के मुताबिक, जिससे आपको संक्रमण जल्दी पकड़ सकता है. गर्भवती महिलाएं, छोटे बच्चे व बुजुर्ग बाहर न निकलें.
क्वारंटाइन के बाद बाहर निकलने की चुनौतियां अमेरिकी एजेंसी सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन(सीडीसी) ने क्वारंटाइन के बाद लोगों में होने वाले शारीरिक व मानसिक परिवर्तन की जानकारी दी है, जिसके अनुसार ’ क्वारंटाइन से निकलकर हर एक आदमी अलग तरह से रिएक्शन देता है, ये राहत व भय के मिश्रित भाव भी हो सकते हैं. ’ बाहर निकलने पर लोग अपने व अपनों के स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा चिंताग्रस्त महसूस करने लगते हैं. ’ अपने शारीरिक लक्षणों के प्रति हमारी सतर्कता बढ़ जाती है व दूसरे लोग भी हमारी शारीरिक आदतों को जांचने की निगाह से देखने लगते हैं जो कि तनाव को बढ़ा सकता है. ’ आर्थिक चुनौतियां बढ़ने से कोरोना के पहले जैसा ज़िंदगी न बिता पाने या बच्चों को वैसी सुविधाएं न उपलब्ध करवा पाने जैसी ग्लानि पैदा हो सकती है. क्रमश:
शारीरिक दूरी का पालन करते हुए अकेलेपन से बचें लैन्सेंट में प्रकाशित अध्ययन में मुताबिक, लंबे समय तक लॉकडाउन में रहने के कारण गंभीर मानसिक रोग हो सकते हैं. ऐसे में एक समय के बाद लॉकडाउन में छूट मिलना महत्वपूर्ण है. पर अपने कार्यालय जाते या दूसरे लोगों से मिलते समय हमें देह से दूरी के नियम का पालन करना महत्वपूर्ण है. एक अन्य अध्ययन कहता है कि अकेलापन एक दिन में 15 सिगरेट पीने जितना खतरनाक है. जब हम एक ही स्थान बैठे रहते हैं तो हमारे अंदर डर, गुस्सा, झुझलाहट व तनाव की स्थिति पैदा होती है इसलिए अकेलापन खतरनाक है.
बाहर निकलने पर संक्रमण का बढ़ता है खतरा लंबे समय तक घर में ही सीमित रहने के बाद जब कोई आदमी बाहर निकलता है तो उसका शरीर बाहरी वातावरण के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाता है. सीडीसी की सलाह है कि होम क्वारंटाइन की अवधि के बाद लोग एकसाथ भीड़ में न जाएं. ऐसा करने से शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र या इम्यूनिटी पर गहरा प्रभाव पड़ता है. अगर लोग आवश्यक कार्यों से बाहर जाना ही चाहते हैं तो उन्हें हाथों की स्वच्छता के प्रति दोगुना जागरुक रहना चाहिए. कार्यालय में दूरी बनाते हुए कार्य करना महत्वपूर्ण है.

अन्य समाचार