तुम जहां बुलाओगे आ जाऊंगा. गैंग-रेप करने में मज़ा आएगा.
अब मुंह बंद रखेंगी ये साली रंडियां. बड़ा फ़ेमिनिस्ट बनती थी. डाल दे तब तक इसकी फ़ोटो.
भाई जितनी लड़कियों ने स्टोरीज़ डाली हैं न सबकी न्यूड लीक कर देते हैं.
शॉक में हूं ये पढ़कर. नहीं कहूंगी क्योंकि कहीं न कहीं मैं वाक़िफ़ हूं इन टीनएज़ लड़कों की घटिया मेंटैलिटी से. अभी पिछले दिनों मुंबई के बेहद महंगे और प्रतिष्ठित स्कूल के कुछ लड़कों से मिलकर ऐसा ही कुछ अनुभवकिया था. क्लास की किसी लड़की से बदला लेने के लिए Whatsapp पर एक ग्रुप create किया था जिसमें वो उस लड़की का गैंग रेप करने की साज़िश रच रहें थे. Indian Express ने ये ख़बर छापी थी. तब सिर्फ़ पढ़ कर रह गयी थी. लगा था कि कुछ एक आवारा लड़कों की बदमाशी है. सारे लड़के ऐसे थोड़े ही होते होंगे.
बलात्कार की इतनी घटनाएं और फिर उस पर हो रहे विरोध, घर में शायद मांबाप भी समझाते होंगे जेंडर इक्वालिटी के बारे में तो ये नर्म दिल जनरेशन होगी. लेकिन मैं ग़लत साबित हुई एक बार फिर. ज़हरीले समाज ने ज़हर भरे हुए लड़के ही उगायें. अमीर घरों के घटिया सोच वाले निहायत गिरे हुए लड़के, जिनको मां-बाप ने फ़ोन और इंटरनेट तो दिया लेकिन संस्कार देना भूल गए.
पूरे सोशल मीडिया पर इंस्टाग्राम पर बने ग्रुप बॉयज लॉकर रूम के स्क्रीन शॉट्स शेयर किये जा रहे हैं
वैसे ही कुछ संस्कारहीन, निहायत बदतमीज़ साउथ दिल्ली के अमीर लड़के इंस्टाग्राम पर फ़ेक आईडी से Bois Locker Room बना कर चैट कर रहें जहां लड़कियों की नंगी मॉरफ़ड तस्वीर शेयर करते हैं. गैंग रेप के सपने देखते हैं. ट्वीटर पर कल तीसरे नम्बर पर #BoysLockerRoom ट्रेंड कर रहा था. आज उनमें से एक लड़के को दिल्ली पुलिस ने गिरफ़्तार किया है. उम्मीद है कि बाक़ी के भी लड़के गिरफ़्तार जल्दी कर लिए जाएंगे. लेकिन क्या इन गिरफ़्तारियों से ये लड़के सुधर जाएंगे?
सोचिए ज़रा अभी लॉकडाउन में जब मां-बाप घर पर हैं. पूरा परिवार साथ में है तब ये ऐसा कर रहें. कौन है इसके लिए ज़िम्मेदार? इंटरनेट, फ़ोन या मां-बाप का इग्नोरेंस. क्या मां-बाप का फ़र्ज़ सिर्फ़ ज़रूरत की चीजें मुहैया करवा देना भर है? कितने मां-बाप को पता होता है कि उनके बच्चे इंटरनेट पर क्या देख रहें, किससे बात कर रहें. इन मां-बाप को समझ नहीं आ रहा कि ये लड़कियों के लिए कैसे घटिया समाज का निर्माण कर रहें हैं.
ऊपर से सोशल मीडिया पर कुछ लोग उन लड़कों के बचाव में उतर आए हैं. कुछ लोग कह रहें हैं, मैं अपनी बेटी को संस्कार दे रहा, वो कुछ ग़लत नहीं करेगी. मुझे उन पिता से ज़्यादा तरस उन बेटियों पर आता जिनको ऐसे पिता मिलें हैं. काश कि यही पिता कहते कि मैं अपने बेटों को सीखा रहा कि लड़कियां सिर्फ़ ब्रेस्ट और वजाइना नहीं है. वो इंसान है हमारी और तुम्हारी तरह. उनको अपने जैसा समझो. तो ये जो #BoysLockerRoom जैसी चीजें होती हैं न, नहीं होतीं.
वहीं कुछ लोग कह रहें कि वेस्टर्न कल्चर का असर है. लड़कियों को छोटे कपड़ों का असर है. ग़लती लड़कियों की भी है. अगर लड़कियां शराब-सिगरेट पीएगी और यूं ख़ुद को सबके आगे परोसेगी तो उसकी इज़्ज़त कौन करेगा.
काश कि ये सब कहने से पहले वो लोग एक बार अपने ही मन में झांक कर देख लेते कि आख़िर बोल क्या रहें हैं. क्या अपनी बीवी और मां या घर की दूसरी औरतों को कभी अपने या अपने बाप के बराबर समझा है. क्या कभी बीवी को वही आज़ादी दी है जो ख़ुद को देते हैं. जब तक बाप नहीं बदलेगा बेटा कहां से बदल जाएगा. घर में मां को दोयम दर्ज़े के प्राणी के रूप में देखने वाले ये लड़के कहां से हमउम्र लड़कियों को इज़्ज़त देना सीखेंगे.
हम अपनी बेटियों के लिए कैसे समाज का निर्माण कर रहें हैं? बेटों को फ़ोन देने से पहले थोड़ा संस्कार दीजिए वरना मत पैदा कीजिए कुत्तों को. तय है कि हमारी बेटियों का बलात्कार होता रहेगा और बलात्कारी भीड़ कैंडल ले कर नए शिकार की तलाश में उस भीड़ में लड़कियां तलाशने आएगी.
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