कोरोना डायग्नोस्टिक टैस्ट 30 मिनट में परिणाम बता देंगा, पढ़े

कौन-कौन है शमिल -वरिष्ठ चिकित्सक -मेडिकल रिसर्चर्स -वैज्ञानिक -संक्रमण रोग विशेषज्ञ -सॉफ्टवेयर डवलपर्स -पब्लिक ऑपिनियन निर्माता

कैरोलाइन कैल्फी सैन फ्रांसिस्को स्थित कैलिफोर्निया विवविद्यलय की एनिस्थिसिया व मेडिसिन विभाग की 46 वर्षीय प्रोफेसर कैरालाइन कैल्फी श्वसन संबंधी बीमारी (एआरडीएस) की जानी-मानी शोधकर्ता हैं . वे वर्तमान में विशेषज्ञों के एक समूह का नेतृत्व कर रही हैं. उनकी टीम यह पता लगाने काप्रयास कर रही है कि हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस के हमले का जवाब कैसे देता है.
मेलानी ऑट ग्लैडस्टोन इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी एवं इम्यूनोलॉजी में वरिष्ठ वायरोलॉजिस्ट ५६ वर्षीय मेलानी ओट यह अध्ययन कर रही हैं कि कोविड-19 वायरस अपने संक्रमण को बढ़ाने के लिए संक्रमित आदमी की प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ कैसे रिएक्शन करता है. वे यह निर्धारित करने की प्रयास कर रही हैं कि वायरस मानव सेलुलर मशीनरी को किस प्रकार अपने कब्जे में लेता है व यह प्रक्रिया अन्य वायरस की तुलना में अलग कैसे होती है. उनका अध्ययन यह बताएगा कि कोरोनावायरस कैसे खुद को दोबारा पैदा कर लेते हैं या अपने परजीवी आरएनए को दोहरा सकते हैं. वे कोरोना डायग्नोस्टिक टैस्ट भी बना रही हैं जो 30 मिनट में परिणाम बता देंगा.
वोने माल्डोनाडो स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के मेडिकल विभाग की संक्रमण बीमारियों की वरिष्ठ चिकित्सक वोने माल्डोनाडोएक महामारी विशेषज्ञ भी हैं. वे 40 से ज्यादा सार्स कोविड-02 अध्ययन का भाग रही हैं. उनका अनुभव कोरोना का उपचार ढूंढने में बहुत ज्यादा महत्त्वपूर्ण है. उन्होंने हाल ही में एक शोधपूरा किया है जिसमें लोग अपनी नाक से स्वाब लेकर खुद ही जाँच कर सकते हैं.
ऐनी ल्यूकीमियर सैन फ्रांसिस्को जनरल हॉस्पिटल में संक्रमणरोग विशेषज्ञ 46 वर्षीय चिकित्सक ऐनी ल्यूकीमियर क्लिनिकल ट्रायल की एक्सपर्ट हैं. उन्होंने हाल ही कुछ शोधकर्ताओं की बनाई एंटीवायरल मेडिसिन का पास ट्रायल किया है. इन दवाओं के बारे में खुद राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भी दावा किया है कि यह कोविड-19 का संभावित उपचार हो सकती हैं.
आर्ट रेनगोल्ड कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के 71 वर्षीय महामारी विशेष प्रोफेसर आर्ट रेनगोल्ड कोविड-19 के प्रकोप केदौरान डेटा कलेक्शन व संक्रमित रोगियों का पता लगाने का कार्य कर रहे हैं. उन्होंने हाल ही एक अध्ययन जारी किया है जिसका उपयोग कर यह पता लगाया जा सकता है कि न्यूमोनिया का इलाज करा चुके कितने लोगों को कोरोना संक्रमण होने का खतरा है या हो चुका है.

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