वर्तमान समय में एंटीबायोटिक का अंधाधुंध तरीके से प्रयोग किया जा रहा है रोजाना की दौड़ती-भागती जिंदगी में अक्सर हम लोग सिरदर्द पेटदर्द या बुखार होने पर बिना डॉक्टर की सलाह लिए कोई भी एंटीबायोटिक दवाई ले लेते हैं।
डेस्क। वर्तमान समय में एंटीबायोटिक का अंधाधुंध तरीके से प्रयोग किया जा रहा है, रोजाना की दौड़ती-भागती जिंदगी में अक्सर हम लोग सिरदर्द, पेटदर्द या बुखार होने पर बिना डॉक्टर की सलाह लिए कोई भी एंटीबायोटिक दवाई ले लेते हैं। इस परिप्रेक्ष्य में कल्पना कीजिये कि किसी को हल्की सी भी कोई बीमारी होने पर कोई दवा नहीं काम करे तो कितनी चिंता की बात होगी। वर्तमान में यह कल्पना है लेकिन इस कल्पना को हकीकत बनने में कुछ ही साल लगेंगे अगर हमने अपनी कार्यप्रणाली विशेषकर चिकित्सकों ने उपचार प्रणाली अनावश्यक रूप से एंटीबायोटिक का प्रयोग न रोका।
एंटीबायोटिक्स के नुक्सान:
-एंटीबायोटिक दवाएं सेहत के लिए घातक नहीं हैं, लेकिन यह दो स्थितियों में नुकसानदायी हो जाती हैं। पहला तब जब आप इन्हें बिना जरूरत के सेवन करें और दूसरा इन्हें यदि आप लंबे समय तक इस्तेमाल करते रहें।
-आजकल अस्पतालों में बढ़ती भीड़ और कम संसाधन, जागरूकता की कमी के कारण एंटीबायोटिक्स का दुरुपयोग आम हो गया है, जिससे एंटीबायोटिक का प्रतिरोध पनप रहा है जो भविष्य के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
-ग्रामीण क्षेत्रो में अप्रशिक्षित लोगों द्वारा चिकित्सा व्यवसाय खुले तौर पर जारी है ऐसे में एंटीबायोटिक के सही प्रयोग की बात सोचना बेमानी है।
-गांवों में किराने की दुकान पर भी बुखार की दवा मिलती है। इन औषधियों के दुरुपयोग का प्रमुख कारण स्वचिकित्सा है। मरीज खुद से अपना इलाज बिना उचित सलाह के करने लगता है जो अत्यंत घातक है।
-अक्सर बिना आवश्यकता के एंटीबायोटिक के प्रयोग किया जाता है, जिससे जब एंटीबायोटिक की वास्तव में आवश्यकता होती है उस समय उस औषधि का प्रतिरोध पैदा हो चुका होता है।
-ये एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंट बैक्टीरिया बहुत तेज़ी से फैलते हैं और आपके परिवार के सदस्य, बच्चे और आपके साथ काम करनेवालों को भी अपना शिकार बनाते हैं। और हो सकता है कि एक स्टेज ऐसा भी आ जाए कि सभी ऐसे इंफेक्शन से घिर जाएं, जिसका इलाज मुश्किल हो।