हम जिस दौर में जी रहे हैं, वह स्त्री-पुरुष की बराबरी वाला दौर है। यहां स्त्रियां ऑफिस में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। पुरुष थोडा कंफ्यूज है। उसे समझ नहीं आ रहा कि समानता की बात करने वाली, हर फील्ड में बराबर दखल रखने वाली स्त्री क्यों चाहती है कि पुरुष उनके लिए गाडी का दरवाजा खोले या फिर उनका भारी सामान उठाने में उनकी मदद करे।
# अकसर पुरुष सोचते हैं कि स्त्रियों को खुश करना बडा मुश्किल है, लेकिन वे नहीं जानते कि उनकी जीवनसंगिनी खुश होने के लिए बेशकीमती तोहफा नहीं चाहती, उसे तो प्यार से दी गई एक कैंडी भी खुश कर सकती है।
# सच्चाई यह है कि करियर में कोई स्त्री कितनी भी कामयाब क्यों न हो जाए, उसे सबसे बडी खुशी तब मिलती है, जब उसका साथी उसकी छोटी-छोटी ख्वाहिशों को समझता हो, उनका खयाल रखता हो।
# स्त्रियां हमेशा चाहती हैं कि साथी उनकी तारीफ करे। जब साथी उसकी तारीफ करता है तो वह और निखर जाती है।
# वह चाहती है कि उसका साथी कार में पहले खुद बैठने की बजाय उनके लिए कार का दरवाजा खोले।ये चाहत इसलिए नहीं है कि वह यह काम खुद नहीं कर सकती या फिर शारीरिक रूप से कमजोर है, वह सिर्फ अपने पार्टनर से एक स्नेह भरे रिश्ते की अपेक्षा रखती है।
# प्रकृति ने पुरुष को फिजिकली मजबूत बनाया है।वह मेहनत करता है, परिवार चलाता है। स्त्री उसका खयाल रखती है। अब स्त्रियां घर-ऑफिस साथ संभाल रही हैं। पुरुष उनकी मेहनत की कद्र करता है, लेकिन कहीं न कहीं वह इसका इजहार करने से चूक जाता है। उसे यही समझना है कि अगर प्यार है तो इजहार भी जरूरी है।