सुबह -सुबह काम की भाग दौड़ में समय न रहने के कारण कई बार हम रात में गुथा हुआ आटा बचा कर रख लेते है और फिर इस आटे का इस्तेमाल कर रोट्यि बना लेते है या फिर रात में ज्यादा रोटी बनाकर रख लेते है
और इस बासी रोटी से काम चला लेते है लेकिन क्या आपके इसके स्वास्थय पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जानते है ? आज हम आपके साथ इन प्राभावो के बारे में शेयर करने जा रहे है , तो देर किस बात की है आइये जानते है इनके बारे में
गीले आटे में फर्मेंटेशन की प्रक्रिया नॉर्मल गूथे आटे के मुकाबले जल्दी शुरू हो जाती है। जिससे आटे में बैक्टीरिया पैदा होना शुरू हो जाता है। ये आटा मानव शरीर के लिए जहर बन चूका होता है और यदि आप रोज़ इसका इस्तेमाल करती है तो ये आपकी सेहत पर विपरीत प्रभाव डालता है। आइये जानते है इसके स्वास्थय पर प्रभावों के बारे में
गेहूं एक मोटा अनाज है जिसकी राटियां पेट में जा कर धीरे धीरे हजम होनी शुरू होती हैं। ऐसे में जिन्हें कब्ज की समस्या है उनके लिये इसे हजम करना मुश्किल हो जाता है। बासी आटे की रोटियां खाने से पेट दर्द, कब्ज और पेट से जुड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं वैज्ञानिकों के अनुसार भी बासी आटे की रोटियां नहीं बाननी चाहिए। उनके अनुसार आटे को गूंथने के बाद इसका यूज जल्द से जल्द कर लेना चाहिये। क्योंकि इसमें एक घंटे के बाद ही ऐसे रासायनिक बदलाव होने शुरू हो जाते हैं। जो कि सेहत के लिहाज से खराब होता है। यदि इस आटे की रोटियां या पराठे कई दिनों तक लगातार खाया जाए तो इंसान का बीमार पड़ना स्वभाविक ही है।फिर भी यदि आप नियमित बासी आटे का यूज करते हैं तो आपकी आपकी पाचन-क्रिया खराब होने के साथ साथ इम्यून सिस्टम भी कमजोर होने लगेगा।
यदि आपने कई दिनों का आटा एक साथ गूथ लिया है, तो कोशिश करें इसे दिन के हिसाब से अलग अलग कर के बांट लें। उसके बाद जो आटा बाद में यूज करना हो उसे प्लास्टिक रैप में लपेट कर फ्रिजर में रख दें। इस आटे का इस्तेमाल लगभग 6 महीने तक किया जा सकता है।