कोरोना इलाज़ के लिए हर रोज़ कुछ नए अनुसंधान किए जा रहे है इसी बीच ये जानकारी आई है कि...
नई दिल्ली: कोरोना इलाज़ के लिए हर रोज़ कुछ नए अनुसंधान किए जा रहे है इसी बीच ये जानकारी आई है कि 6200 डॉक्टरों पर हुए सर्वे में 37 फीसदी विशेषज्ञों ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को कोरोनावायरस के लिए सबसे प्रभावी दवा बताया है। ये दवाई मलेरिया के इलाज़ के लिए प्रयोग की जाती है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है अब ऐसी कोई दवा नहीं बनी है जो कोरोना से संक्रमण का इलाज कर सके।
यूरोप, अमेरिका और चीन के बाद ब्रिटेन में भी दी जा सकती है ये दवाई यूरोप, अमेरिका और चीन के डॉक्टर कोरोना के मरीजों को यह दवा दे सकते हैं, इसकी अनुमति उन्हें पहले ही दी जा चुकी है। लेकिन ब्रिटेन में इस दवा का क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है, प्रयोग में सफलता मिलने तक डॉक्टर्स ये दवा प्रिस्क्राइब नहीं कर सकते। अमेरिका की नेशनल हेल्थ सर्विस 1940 से इस दवा का इस्तेमाल रुमेटॉयड आर्थराइटिस और ल्यूपस के मरीजों पर कर रहा है। अप्रूवल मिलने के बाद ब्रिटेन में भी ये मरीज़ो को दी जाएगी।
स्पेन के ज्यादातर डॉक्टरों को इस पर भरोसा हालिया सर्वे सेर्मो ने किया है, जो दुनियाभर के डॉक्टर का प्राइवेट सोशल नेटवर्क है। सर्वे के मुताबिक, स्पेन के 72 फीसदी डॉक्टरों ने कहा, उन्होंने यह दवा कोरोना के मरीजों को दी है। इटली के 53 फीसदी डॉक्टरों ने कहा, उन्होंने यह दवा वायरस को खत्म करने के लिए इस्तेमाल की, वहीं चीन में यह आंकड़ा 44 फीसदी और ब्रिटेन में 13 फीसदी है। ब्रिटेन में प्राइवेट प्रैक्टिशनर्स ने यह दवा मरीजों को लिखी थी।
ऐसे काम करती है ये दवाई यह दवा सिन्कोना नाम के पेड़ से तैयार की जाती है। जिसका इस्तेमाल आमतौर पर मलेरिया के इलाज में होता है। यह दवा शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाकर बीमारी से लड़ने में मदद करती है। इसीलिए इसका इस्तेमाल कोरोना के मरीजों पर किया जा रहा है। चीन में इस दवा पर हुए ट्रायल में सामने आया था कि यह कोरोना संक्रमण को गंभीर होने से रोक सकती है। डॉक्टर इसे ऐसे मरीजों को भी देने के बारे में सोच रहे हैं जो कोरोना की जांच में पॉजिटिव मिले लेकिन उनमें लक्षण नहीं दिखाई दिए। कोरोना में भी इम्यून सिस्टम पर ही सबसे ज्यादा प्रभाव होता है ।