मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा कोरोना वायरस के संक्रमित मरीज इंदौर में हैं. प्रदेश में कोरोना वायरस प्रभावित लोगों का आंकड़ा 155 पहुंच गया है. जबकि सिर्फ इंदौर की बात करें तो 112 लोग इस मिनी मुंबई कहे जाने वाले शहर में प्रभावित हुए हैं. इनमें से 5 लोगों की अब तक मौत भी हो चुकी है. इंदौर के लोगों और प्रशासन की कई गलतियां अब पूरे इंदौर शहर पर भारी पड़ रही हैं.
प्रशासन के लिए सबसे ज्यादा टेंशन इस बात की है कि 112 में आधे से ज्यादा मरीज ऐसे हैं जिनतक ये वायरस कैसे पहुंचा इसकी जानकारी नहीं जुटाई जा सकी है. लिहाजा प्रशासन के सामने चुनौती इस बात की है कि इस वायरस के सोर्स का पता लगाया जाए. क्योंकि जब तक ये सोर्स नहीं पता चलता. इसे कंट्रोल करना मुमकिन नहीं है. इसके लिए क्वारंटाइन होना जरूरी तो है लेकिन बीमारी किस हद तक फैल चुकी है ये कह पाना मुश्किल है.
कोरोना संक्रमण फैलने को लेकर कोई तर्क तो देना बेमानी ही है, लेकिन कई गलतियां ऐसी हैं जिन्हें रोका जा सकता था.
1-जनता कर्फ्यू का मखौल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का ऐलान किया था. इंदौरियों ने इस अपील के उलट काम किया. शाम पांच बजे राजवाड़े पर जश्न मनाया गया. इस दौरान तिरंगा लेकर भारी भीड़ यहां पर जमा हुई. सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई गई और प्रशासन मूक दर्शक बना देखता रहा. कहा जा सकता है कि यहीं से इंदौर के रहवासियों के लिए कोरोना खतरा बना. हालांकि मरीजों में कोई रैली में शामिल हुआ था या नहीं इसकी आधिकारिक जानकारी नहीं है.
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2-बाहर से आए मरीजों की लापरवाही
25 मार्च को कोरोना के अचानक एक साथ 5 मरीज मिले. इन सभी मरीजों की ट्रैवल हिस्ट्री थी. इनमें से दो वैष्णोदेवी और हिमाचल प्रदेश की यात्रा कर लौटे थे. जब वो इंदौर पहुंचे तो उन्हें दो दिन बाद हल्का बुखार आया. उन्हें 23 मार्च को बॉम्बे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. जांच में दोनों दोस्तों में कोरोना वायरस के लक्षण मिले. माना जा रहा है कि ये दोनों कई लोगों के संपर्क में आए और संक्रमण फैला. हालांकि इन दोनों की हालत बेहतर बताई जा रही है.
उसके अगले दिन 26 मार्च को ही मरीजों की संख्या 10 हो गई. अगले दिन 27 मार्च आंकड़ा 14 पहुंचा और इन्हीं 5 दिन में इंदौर देश के सबसे संक्रमित शहरों की सूची में आठवें नंबर पर पहुंच गया. जब यहां कोरोना पॉजिटिव का आंकड़ा 44 हो गया. उसके अगले तीन दिनों में ये आंकडा़ दो गुना हो गया और इंदौर देश के कोरोना पॉजिटिव टॉप थ्री शहरों पहुंच गया.
3-जागरुकता और सुरक्षा के अभाव में मरीजों ने भागकर फैलाया वायरस
28 मार्च को एक संक्रमित मरीज एमआर टीबी अस्पताल से भाग गया. उसने कहा कि वो कभी विदेश नहीं गया तो उसे ऐसी कोई बीमारी नहीं हो सकती. अस्पताल से भागकर वो अपने घर गया. यहां पर उसने अपनी तीन और पांच साल की बेटियों और 8 साल के बेटे के अलावा कुल 12 लोगों को संक्रमित कर दिया. उसके संपर्क में आए 54 लोगों को क्वारेंटाइन किया गया. वहीं दो और संक्रमित मरीज भी अस्पताल से भागे लेकिन सभी को वापस पकड़ लिया गया.
4-स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों से बदसलूकी और मारपीट
29 मार्च को इंदौर के रानीपुरा इलाके में भी कोरोना से संक्रमित लोगों की स्क्रीनिंग करने गई मेडिकल टीम पर वहां के लोगों ने थूककर संक्रमित करने की कोशिश की थी. टाटपट्टी इलाके में जब स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी लोगों की स्क्रीनिंग के लिए पहुंचे तो वहां उनके ऊपर जानलेवा हमला तक किया गया. बाद में पुलिस ने 10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करके 7 को गिरफ्तार कर लिया. इनमें से 4 के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई भी की गई. मामले में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी सख्ती से निपटने के निर्देश जारी किए.
अप्रैल के पहले सप्ताह में कोरोना बेकाबू होने लगा है. आज की तारीख में मरीजों की संख्या बढ़कर 112 हो चुकी है. यूं तो देश में इंदौर को स्वच्छता अभियान में नंबर 1 बनाने में इंदौर की जनता का बड़ा हाथ रहा लेकिन कोरोना संक्रमण फैलाने के भी असल ज़िम्मेदार इंदौर के रहवासियों को कहना गलत नहीं होगा. ये बात सही है कि इंदौर के प्रशासन ने पहले सख्ती दिखाई होती तो आंकड़ा कम हो सकता था लेकिन पीएम मोदी और दूसरे लोगों की अपील पर गौर किया जाता तो शायद आज ये स्थिति नहीं बनती.
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