जयपुर।हर साल 2 अप्रैल को वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरने डे के रूप में मनाया जाता है।ऑटिज्म बच्चों में होने वाला एक मानसिक बीमारी है।इस बीमारी में बच्चा अपने परिवार, समाज व बाहरी वातावरण को समझ नही पाता है और मानसिक रूप से विकास अवरूद्ध हो जाता है।इसकी जागरूकता के लिए ही यह कार्यक्रम चलाया जाता है।ऑटिज्म की बीमारी बच्चों में 2 साल से 6 साल तक की उम्र में देखी जा सकती है। लेकिन लोगो में इस बीमारी की जागरूकता की कमी के के कारण आज यह बढ़ती जा रही है।
वहीं ऑटिज्म बीमारी से ग्रसित बच्चों की देखभाल काफी मुश्किल होती है लेकिन इस बीमारी का कोई इलाज ना होने के कारण बच्चो की देखभाल करना बेहद आवश्यक होता है।इसलिए आज हम आपको वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे के मौके पर इस तरह की बच्चों की देखभाल करने के बारे बता रहें है।
ऑटिज्म बीमारी के प्रारंभिक लक्षण के तौर पर इससे ग्रसित बच्चे किसी की आवाज सुनने के बाद भी प्रतिक्रिया नही देते है और ऐसे बच्चो को अन्य लोगो की भाषा को सीखने-समझने में काफी मुश्किल दिखाई देती है।ऐसे बच्चे अपनी ही दुनिया में मस्त रहते है।
इसलिए ऑटिस्टिक बच्चों को कुछ सिखाने के लिए आप किसी भी प्रकार की जल्दबाजी ना करें।आप उन्हें अपनी बात धीरे-धीरे समझाने की कोशिश करें और उनकी बात आप स्वंय समझें।
आप ऐसे बच्चें से आसन शब्दों में बात करें, ताकि वह आपकी बात को आसानी से समझ सकें।अगर बच्चे को बोलने में परेशानी है,तो आप ऐसे बच्चों से इशारो में बात कर सकती है।जरूरत पड़ने पड़ने पर आपको समय—समय पर डॉक्टर से सलाह करना भी आवश्यक है।