कोरोना वायरस (coronavirus) का कहर के बढ़ने से रोजगार की तलाश में बाहर गए लोग अब अपने गांवों में लौट रहे हैं. चूड़ा, गुड़ खाकर पीठ पर बैग लादे लोग अपने राज्य, अपने गांव पहुंच रहे हैं. अचानक कोरोनावायरस की धमक ने रोजी-रोटी के जुगाड़ में परदेश गए लोगों के लिए सबकुछ अव्यवस्थित कर दिया है.
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सभी राज्य और केंद्र सरकारें भले ही लोगों को मदद पहुंचाने की अपील कर रही हैं, लेकिन इन ग्रामीणों के घर पहुंचने की अफरा-तफरी मची है. लोग कहते हैं कि घर पहुंचने में काफी परेशानियां आईं, लेकिन घर नहीं जाते तो खाने के लाले पड़ जाते. लोग कहते हैं कि जैसे-जैसे आगे बढ़ते गए मौत पीछे छूटती चली गई.
मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर प्रखंड के विभिन्न इलाकों में पिछले 24 घंटों के दौरान ढाई हजार से ज्यादा लोग वापस पहुंचे हैं. मुजफ्फरपुर पहुंचे लोगों का कहना है कि लॉकडाउन (lockdown) के कारण काम बंद हो गए. ट्रेनें बंद हो गईं. खाने को अधिकतर लोगों के पास पैसे नहीं थे. कई लोग पैदल ही घरों की ओर चल पड़े.
औराई प्रखंड के रहने वाले महेश दिल्ली में एक कारखाने में काम करते हैं. लॉकडाउन में कारखाना बंद हुआ, तो पैदल घर चल दिए. उन्होंने बताया, "पैदल चलने के बाद बॉर्डर पर बस मिली, फिर बस से बिहार पहुंच गए. पटना होते हुए यहां पहुंचा."
कुढ़नी के सैकड़ों लोग बिहार लौटे हैं. उन लोगों का कहना है दिल्ली से निकलने के बाद यहां तक आने में उन्हें जो परेशानियां झेलनी पड़ीं, उसे याद कर रूह कांप जाती है. सभी लोग आर्थिक तंगी और कारोबारी के बेरुखी से निराश होकर गांव लौट रहे हैं.
कुढ़नी के रहने वाले नीरज कुमार बताते हैं, "यहां के कई लोग दिल्ली में बेकरी में काम करते थे. अचानक फैक्ट्री में तालाबंदी हो गई. बकाया पैसे भी नहीं मिले. खाने को भी नहीं था. यह तो किस्मत थी कि रास्ते में लोगों ने खाना खिला दिया."
दिल्ली से मुजफ्फरपुर पहुंचे मजदूर रामदीन, रामनिवास, शैलेश गरीबनाथ मंदिर के पास सामुदायिक किचेन में खाना खा रहे थे. खाना खाने के बाद उन्होंने कहा कि बहुत दिनों के बाद पेटभर खाना नसीब हुआ है. मुजफ्फरपुर पहुंचने के बाद इन सभी लोगों की श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) में जांच की गई. मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन शैलेश कुमार सिंह कहते हैं कि बाहर से आए लोगों की स्क्रीनिंग की गई है, लेकिन अपील है कि ऐसे लोग 14 दिनों तक क्वोरंटीन (quarantine) रहें.
इन मजदूरों का कहना है, "दिल्ली से नहीं आते तो वहां मर जाते. दिल्ली के घरों की बिजली-पानी काट दी गई. माइक पर घोषणा कर कहा गया कि उनके घरों तक जाने के लिए बसों की व्यवस्था की गई है. लोग बाहर निकलें और घर जाएं."
उल्लेखनीय है कि बाहर रहने वाले लोग बड़ी संख्या में रविवार और सोमवार को बिहार पहुंचे हैं. इन्हें प्रशासन ने 14 दिनों के लिए गांव के बाहर सरकारी भवनों में बने क्वोरंटीन सेंटर में रखा जा रहा है. गांव वाले भी बाहर से आने वालों को लेकर सशंकित हैं. बिहार में अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 16 तक पहुंच गई है.
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-IANS