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वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर इस की आदत भी आदमी सी है, पढ़िए मशहूर शायर गुलजार की कविताएं
31 Mar, 2020 08:37 AM | R Kumar
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वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर....
-गुलज़ार
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-गुलज़ार
चांद इस तरह बुझा, जैसे फूंक से दिया
-गुलज़ार
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