चाणक्य नीति: जब शत्रु अदृश्य हो तो छिप जाने में ही भलाई है

चाणक्य नीति: चाणक्य के अनुसार विपत्ति कभी बता कर नहीं आती है. इसलिए विपत्ति आने पर सबसे पहला कार्य स्वयं को सुरक्षित करना चाहिए. इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस की महामारी की चपेट में है. भारत में भी कोरोना वायरस तेजी से पैर पसार रहा है. कोरोना वायरस एक अदृश्य शत्रु है जिससे बचने के लिए सबसे बेहतर उपाय यही है कि खुद को घर में सुरक्षित कर लेना चाहिए. जो लोग ऐसा नहीं कर रहे हैं वे स्वयं को मुश्किल में डाल रहे हैं बल्कि वे दूसरों के लिए भी संकट खड़ा कर रहे हैं.

चाणक्य नीति कहती है कि जब दुश्मन दिखाई न दे और लगातार हानि पहुंचाने में लगा हो तो छिप जाना में ही समझदारी है. कोरोना वायरस के चलते देश में घोषित किए गए लॉकडाउन का भी यही अर्थ है. इस भंयकर बीमारी से बचने का यही एक मात्र उपाय है.
चाणक्य की इन बातों को नहीं भूलना चाहिए
छिप कर सही समय का इंतजार करें: अदृश्य शत्रु से बचने के लिए छिप जाने पर स्वयं की आंतरिक शक्तिाओं में बढ़ोत्तरी करनी चाहिए और सही समय का इंतजार करना चाहिए, लेकिन तबतक सुरक्षित रहने के सभी प्रयासों को करते रहना चाहिए.
सामाजिक दूरी ही बचाव है: महामारी फैलते देर नहीं लगती है. महामारी फैलने पर तत्काल सामाजिक दूरी बना लेनी चाहिए. इससे महामारी को फैलने से रोका जा सकता है.
घर में बैठकर आत्मचिंतन करें: इस समय सभी लोग अपना पूरा समय घर में ही व्यतीत कर रहे है. यह समय खुद से बातें करने का भी है. इस समय आत्मचिंतन करना चाहिए. उन कारणों को जानने का प्रयास करना चाहिए जिससे अधिक से अधिक खुशी प्राप्त की जा सके.
प्रतिभा को निखारें: घर में बैठकर स्वयं की प्रतिभा को निखारने के लिए जतन करने चाहिए ताकि जब समय अच्छा आए और महामारी का खतरा टाल जाए तो फिर से खुद को प्रस्तुत कर सकें.

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