कंसीव करने में आ रही है दिक्कत, तो मेंस्ट्रुअल कप से जुड़ी ये ट्रिक आ सकती है काम

देहरादून। किसी भी महिला के लिए मां बनने का अनुभव सबसे अनमोल होता है। मां बनना ही एक औरत को पूर्ण बनाता है। मगर कई महिलाओं के लिए कंसीव करना आसान नहीं होता है। प्रेगनेंसी का सुख पाने के लिए उन्हें काफी जद्दोजेहद करनी पड़ती है। ऐसी स्थिति में महिलाएं तरह तरह के उपाय अपनाती हैं ताकि वो गर्भधारण कर सकें। आपने भी सुना होगा कि महिलाएं शारीरिक संबंध बनाने के तुरंत बाद अपने पैरों को हवा में उठा लेती हैं या फिर पाइनएप्पल खाती हैं, ऐसे ही कई टिप्स और ट्रिक्स हैं जिसे वो अपनी प्रेगनेंसी की संभावना को बेहतर बनाने के लिए करती हैं। कई औरतों के मुताबिक गर्भावस्था की संभावना को बढ़ाने में मेंस्ट्रुअल कप मददगार साबित हो रहा है। जानते हैं प्रेगनेंट होने के लिए मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल कब और कैसे करना है और ये काम कैसे करता है। अभी तक आपने मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल सिर्फ पीरियड्स के दौरान ही किया होगा। महिलाएं टेम्पोंस या फिर सेनेटरी पैड्स के स्थान पर मेंस्ट्रुअल कप का उपयोग करती हैं। मगर अब ये उन महिलाओं के बीच लोकप्रिय हो रहा है जो कंसीव करना चाहती हैं। मेंस्ट्रुअल कप सिलिकॉन या लेटेक्स से बने होते हैं जिन्हें ऐसे डिज़ाइन किया जाता है जो आपके वजाइना में इस तरह सेट हो जाता है जिससे पीरियड्स का ब्लड उसमें एकत्र होता रहता है। गर्भधारण की इच्छुक महिलाएं जब इसका इस्तेमाल करती हैं तब स्पर्म के लिए लक्ष्य तक पहुंचने का एक ही रास्ता बचता है। मेंस्ट्रुअल कप के लगे रहने से स्पर्म सीधा ऊपर की तरफ ही जाता है जहां वो एग से मिलता है और इस उपाय से प्रेगनेंट होने के चांस बढ़ जाते हैं। यदि आप अपना परिवार बढ़ाने के बारे में सोच रही हैं लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही है तो ये ट्रिक आपकी सहायता कर सकती है। इस उपाय के तहत पार्टनर के इजैकुलेट अर्थात स्खलन के तुरंत बाद मेंस्ट्रुअल कप लगा लें। आप दूसरा उपाय भी अपना सकती हैं। इसके लिए अपने पार्टनर को पुल आउट मेथड के लिए कहें और स्पर्म को मेंस्ट्रुअल कप में इजैकुलेट करवाएं ,इसके तुरंत बाद आप मेंस्ट्रुअल कप को उसकी जगह पर लगा लें। इस उपाय से स्पर्म को तैरकर अपनी निश्चित जगह पर जाने में आसानी होगी। मेंस्ट्रुअल कप के इस्तेमाल से जुड़ी सभी गाइडलाइन्स का पालन करें। मेंस्ट्रुअल कप को 12 घंटे से ज्यादा देर तक लगाकर न रखें। समयसीमा का ध्यान न रखा जाए तो वजाइना का पीएच लेवल बिगड़ सकता है और यीस्ट इंफेक्शन भी हो सकता है।

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