रूसी साहित्यकार एंटोन पेवलोविक चेखव (1860-1904) पेशे से डॉक्टर थे. उनके कालजयी नाटक और लघु कहानियां एक सार्वभौम अपील के चलते दुनियाभर में चर्चित रहे हैं. 'द ऑरेटर' भी उनकी ऐसी ही रचना है. इसका यह अनुवाद विजय शर्मा ने किया है.एक सुहावनी सुबह, हम अपने साथी असेसर किरिल इवानोविच को दफनाने जा रहे थे. वह शराब और कर्कशा पत्नी - हमारे देश में फैली दो बीमारियों से मरा था. जिस समय काफिला चर्च से कब्रिस्तान की ओर बढ़ रहा था, पोपलोवस्की नाम का उसका एक साथी गाड़ी में बैठकर अपने साथी जैकोपिन के यहां पहुंचा. जैकोपिन अपनी वक्तृत्व कला के लिए प्रसिद्ध था.
जैसा कि आगे चल कर पाठक देखेंगे, जैकोपिन कमउम्र होने के बावजूद आशु भाषण कला में माहिर था. मौका चाहे शादी का हो, जन्मदिन या गमी का, चाहे उसे बुखार हो, वो खाली पेट हो या पिये हुए हो, शब्द उसके मुंह से धाराप्रवाह बहते थे. उसके शब्दकोश में एक-से-बढ़ कर एक ऐसे मार्मिक शब्द होते जितने तिलचट्टे शायद रूस की सरायों में भी नहीं होंगे. खासतौर पर धनी व्यापारियों की शादी में वह इतनी देर बोलता कि उसे चुप कराने के लिए पुलिस बुलवानी पड़ती थी.
खासतौर पर धनी व्यापारियों की शादी में जैकोपिन इतनी देर तक बोलता कि उसे चुप कराने के लिए पुलिस बुलवानी पड़ती थी
'मेरे मित्र, मैं तुम्हारे पास भागता हुआ आया हूं.' पोपलोवस्की ने कहा, 'जल्दी से अपना कोट पहनो और मेरे संग चलो. हमारे विभाग का एक अफसर मर गया है. उसे हम विदा कर रहे हैं इसलिए जरूरी है कि उसे एक बढ़िया-सी श्रद्धांजलि दी जाए. हमारी आशा तुम पर है. अगर वो कोई सामान्य आदमी होता तो हम तुम्हें कभी परेशान न करते, लेकिन वह हमारा सचिव था. हमारे विभाग का स्तंभ. हम श्रद्धांजलि दिए बगैर उसे विदा नहीं कर सकते.'
'ओह, तुम्हारा सचिव! वो भयंकर पियक्कड़ था न?'
'वही, पर पहले तुम्हारे खाने-पीने का इंतजाम होगा. गाड़ी भाड़ा भी हम देंगे. क्या कहते हो? तुम्हें उसकी कब्र के नजदीक खड़े हो कर सिसरो की अदा में मृतक के विषय में कुछ शब्द कहने हैं. इसके लिए हम सदैव तुम्हारे आभारी रहेंगे.'
जैकोपिन ने सहर्ष उसका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. उसने अपने बाल बिखेर लिए, चेहरा लटका लिया और पोपलोवस्की के साथ हो लिया.
'मैं तुम्हारे सचिव को अच्छी तरह जानता था, नंबर वन उचक्का...' जैकोपिन ने गाड़ी में बैठते हुए कहा, 'खुदा उसकी आत्मा को शांति दे.'
'मरे हुओं की बुराई नहीं करनी चाहिए.'
'ठीक है, मगर इससे यह सच्चाई नहीं बदल जाती कि वह एक नंबर का आवारा था.'
दोनों दोस्त जल्दी ही धीमी चाल से जा रहे हुजूम में जा मिले. कब्रिस्तान अभी दूर था, इसलिए दोनों ने राह में पड़ने वाली तीन सरायों में थोड़ी-थोड़ी वोदका पी ली.
कब्रिस्तान में पहले दफनाने की प्रार्थना हुई. फिर रिवाजानुसार मरने वाले की बीवी, सास और भाभी ने खूब विलाप किया. जिस समय ताबूत को कब्र में उतारा जा रहा था, उसकी बीवी ने चीखते हुए कहा, 'मुझे भी उसके साथ जाने दो.' लेकिन वह गई नहीं. शायद इसलिए क्योंकि उसे मृतक की पेंशन का ख्याल आ रहा था. उसी समय जैकोपिन आगे जाकर कब्र के निकट खड़ा हो गया. उसने गर्दन घुमाकर आसपास का जायजा लिया और चालू हो गया.
दोनों दोस्त जल्दी ही धीमी चाल से जा रहे हुजूम में जा मिले. कब्रिस्तान अभी दूर था, इसलिए दोनों ने राह में पड़ने वाली तीन सरायों में थोड़ी-थोड़ी वोदका पी ली
'क्या मैं अपनी आंखों और अपने कानों पर विश्वास कर सकता हूं? कहीं ये कोई भयानक दु:स्वप्न तो नहीं है? ये ताबूत, ये शोकग्रस्त चेहरे, ये रोना-धोना...? काश! ये कोई दु:स्वप्न नहीं, हमारी आंखें हमें धोखा नहीं दे रही हैं... एक आदमी जो इतना जिंदादिल और ऊर्जा से भरा हुआ था, जो हमारे राज-खजाने को मधुमक्खी की तरह बढ़ाता रहता था, आज धूल में मिल गया है. हृदयहीन मृत्यु ने उसे हमसे उस समय में छीन लिया जब वह अपनी बुलंदी पर था. एक अपूरणीय राष्ट्रीय हानि. हमारे पास वैसे तो एक-से-बढ़ कर एक अफसर हैं लेकिन प्रोकॉफी ओसीविच सबसे अनोखा था. वह अपनी संपूर्ण आत्मा से अपने देश और देश की जनता के लिए समर्पित था... जो जनहित के मूल्य पर उसकी मुट्ठी गरम करना चाहते थे, वह उन लोगों से घृणा करता था. उसने अपने देश के लिए सारे ऐशो-आराम त्याग दिए थे. यहां तक कि वो आजीवन कुवांरा रहा. मैं अभी-भी अपनी नजरों के सामने सदा मुस्कुराने वाला, उसका सफ़ाचट चेहरा देख रहा हूं. हे प्रोकॉफ़ी ओसीविच, ऊपर वाला तुम्हारी आत्मा को शांति दे...'
जैकोपिन अपनी रौ में धाराप्रवाह बोलता जा रहा था, तभी श्रोताओं में तेजी से कानाफूसी प्रारंभ हो गई. वैसे उसका भाषण सबको पसंद आ रहा था. यहां तक कि कुछ लोगों की आंखों से आंसू बह रहे थे. इसके बावजूद उसका भाषण उन्हें विचित्र लग रहा था.
वे हैरान थे कि वह मृतक को प्रोकॉफी ओसीविच क्यों संबोधित कर रहा है, जब कि हरेक उसे किरिल इवानोविच के नाम से जानता था. यह भी कि वो ताउम्र अपनी बीवी से झगड़ता रहा तो कुंवारा कैसे हुआ. इसके अलावा उसके चेहरे पर सदा लाल दाढ़ी हुआ करती थी तो वह सफाचट कैसे हुआ?
श्रोता हैरान थे और एक-दूसरे को देख कर अपने कंधे उचका रहे थे.
'प्रोकॉफी ओसीविच, तुम्हारा चेहरा भले ही खूबसूरत न हो, यहां तक कि बदसूरत हो, परंतु सब लोग जानते हैं कि तुम्हारे सीने में एक पवित्र दिल धड़कता था', जैकोपिन कब्र की ओर देखता हुआ कह रहा था.
'तुमने यह भी कहा कि मैं निर्भीक और निष्पक्ष हो कर अपना काम करता था. एक जीवित आदमी के लिए यह भी एक मजाक है'
अब श्रोताओं को उसमें कुछ अनोखा दिखने लगा. अब वह निरंतर एक तरफ देख रहा था. उसके चेहरे पर बेचैनी का भाव था. अचानक उसने बोलना बंद कर दिया और उसका चेहरा एक ओर लटक गया.
'सुनो, वो तो जिंदा है.' उसने भयभीत होते हुए पोपलोवस्की से कहा.
'कौन?'
प्रोकॉफी ओसीविच. कब्र के पत्थर के पास खड़ा हुआ है.'
'सही है. मरने वाला किरिल इवानोविच था.'
'परंतु... तुमने कहा था तुम्हारा सचिव?'
'बेवकूफ, हमारा सचिव किरिल इवानोविच था. दो साल पहले प्रोकॉफी ओसीविच हमारा सचिव था. अब वह किसी दूसरे विभाग का प्रमुख है.'
'मैं कैसे जानता?'
'पर तुम चुप क्यों हो गए? बोलना चालू रखो, वरना हमारी काफी किरकिरी होगी.'
जैकोपिन ने फिर से धाराप्रवाह बोलना शुरु कर दिया. कब्र के पत्थर के पास खड़ा सफाचट चेहरे वाला बूढ़ा प्रोकॉफी ओसीविच उसे गुस्से से घूर रहा था.
'कैसा गप्पबाज...' मृतक के साथी कब्रिस्तान से लौटते हुए आपस में बतिया रहे थे. 'वो जिंदे आदमी को दफना रहा था.'भीड़ के छंटने पर प्रोकॉफी ओसीविच जैकोपिन के पास आ कर गुर्राते हुए बोला, 'नौजवान यह तुमने ठीक नहीं किया. तुम्हारा भाषण मृतक के अनुकूल हो सकता है, पर यदि उसका इशारा किसी जीवित आदमी की ओर हो तो यह मजाक है. माफ करना तुमने यह भी कहा कि मैं निर्भीक और निष्पक्ष हो कर अपना काम करता था. एक जीवित आदमी के लिए यह भी एक मजाक है. मैं बदसूरत हो सकता हूं, यहां तक कि कुरूप भी, लेकिन जनता के सामने मेरे चेहरे का चित्रण करना मेरा अपमान है महाशय...'
जैकोपिन अवाक था.