वैशाली।
सोनपुर के सबलपुर स्थित संकटमोचन तपोभूमि हनुमान नगर में रविवार को चतुष्ट्य कार्यक्रम के तहत धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित की गई। इस दौरान धर्म क्या है, वर्तमान भारत में धर्म की स्थिति कैसी है, धर्म का स्वरूप कैसा है, सनातन ही सभी धर्मों में श्रेष्ठ क्यों है, बुद्धि, चित और संस्कार क्या है, राष्ट्र धर्म क्या है के अलावा संस्कार और संस्कृति तथा भारत की भौगोलिक सीमाओं को कुछ राजनीतिज्ञों के महत्वाकांक्षाओं ने कैसे विखंडित किया पर चर्चा हुई। उद्घाटन स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, इतिहास संकलन विभाग के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बालमुकुंद जी, क्षेत्र प्रमुख सूबेदार सिंह, प्रांत संयोजक डॉ. अवधेश कुमार यादव एवं डॉ. त्रिभुवन झा ने संयुक्त रूप से किया।
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मंत्री ने कहा कि धर्म से ही समाज में समरसता आती है। धर्म के बिना कोई संभव नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति का अपना धर्म होता है। राष्ट्र धर्म, परिवार धर्म तथा समाज धर्म भी इसी परिधि में आते हैं। समाज एवं राष्ट्र का विकास धर्म के विकास पर ही संभव है। सनातन धर्म एक खास सीमा में नहीं वसुधैव कुटुम्बकम अर्थात संपूर्ण जगत को ही अपना कुटुंब मानता है। संस्कार और संस्कृति ही धर्म है। उन्होंने कहा कि हिदू कोई धर्म नहीं है। जो परंपरा और संस्कृति को संबोधित करता है वहीं हिदू है। राजनीति में कुछ शख्सियतों की महत्वाकांक्षा के कारण देश का बंटवारा हुआ और हमारी भौगोलिक सीमाएं खंडित हो गईं। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू तथा पाकिस्तान के उनके समकक्ष लियाकत अली के बीच हुए समझौते को भारत ईमानदारी से मानता है जबकि पाकिस्तान को इससे कोई लेना-देना नहीं। स्थिति वहां ऐसी हो गई कि वहां हिदुओं की संख्या 23 प्रतिशत थी जो सिमटकर मात्र तीन प्रतिशत रह गई है। आखिर उस देश मे रहने वाले हिदू कहां चले गए? यह सोचने का विषय है। यह भारत की व्यापक सोच का परिणाम है कि यहां अल्पसंख्यकों की हित को देखते हुए न केवल अलग विभाग मौजूद है बल्कि उसके मंत्री भी हैं। संचालन आकाशवाणी की उद्घोषक अलका सिंह ने किया। आगत अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अवधेश कुमार ने किया। मौके पर निधि प्रमुख सुशील अग्रवाल, विधि प्रमुख, अधिवक्ता शिव कुमार, संत रविदास, अजय कुमार, सुदिर यादव, हिदू जागरण मंच के विनोद यादव, भाजपा के लालबाबू कुशवाहा, नरेश सिंह, धनंजय मौजूद थे।
Posted By: Jagran
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