45 पर्यवेक्षिकाओं के सेवा विस्तार को लोक शिकायत ने दिया अवैध करार



जागरण संवाददाता, सुपौल: बाल विकास परियोजना कार्यालय सुपौल में संविदा पर कार्यरत 45 महिला पर्यवेक्षिकाओं को जिला पदाधिकारी सुपौल द्वारा दिया गया सेवा अवधि विस्तार को जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने अवैध करार दिया है। बिहार सरकार के संकल्प का उल्लंघन कर भूतलक्षी प्रभाव से दिया गया सेवा अवधि विस्तार के लिए जिला स्तरीय चयन समिति के सदस्य सचिव सह डीपीओ को दोषी माना है। जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सुपौल अशोक कुमार झा ने एक परिवाद की सुनवाई के बाद बुधवार को अंतिम आदेश पारित कर डीपीओ राखी कुमारी के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य मानते हुए कार्रवाई की अनुशंसा जिला पदाधिकारी से की है। भ्रष्टाचार मुक्त जागरूकता अभियान के अनिल कुमार सिंह ने 8 नवंबर 2019 को जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष एक परिवाद दायर कर जिले के 45 महिला पर्यवेक्षिकाओं की सेवा अवधि जून 2019 में समाप्त हो जाने के बावजूद अवैध रूप से कार्य करने तथा करोड़ों रुपये की योजना का संचालन करने के मामले में दोषी के विरुद्ध कार्रवाई करने का अनुरोध किया था। परिवाद दायर होने के बाद बाल विकास परियोजना द्वारा आनन-फानन में 14 नवंबर 2019 को जिले के सभी 45 महिला पर्यवेक्षकाओं की सेवा अवधि भूतलक्षी प्रभाव से जुलाई 2019 से जून 2020 तक के लिए बढ़ा दी गई थी।
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ये है दायर परिवाद
भ्रष्टाचार मुक्त जागरूकता अभियान के अनिल कुमार सिंह ने 8 नवंबर 2019 को एक परिवाद दायर कर बाल विकास परियोजना के सभी 45 महिला पर्यवेक्षिकाओं की सेवा नहीं रहने के बावजूद विभागीय पदाधिकारियों द्वारा कार्य लेने का आरोप लगाया था। जिसमें कहा गया था कि बिना सेवा के रहते सभी महिला पर्यवेक्षिका करोड़ों रुपये की सरकारी योजनाओं का संचालन कर रही है जो विभागीय नियम के प्रतिकूल है। आंगनबाड़ी सेविका सहायिका के चयन संबंधी बैठक का भी आयोजन कर नियुक्ति पत्र निर्गत कर रही है। बाल विकास परियोजना के पदाधिकारी जान बूझकर तंग तबाह करने के उद्देश्य से समय पर सेवा अवधि का विस्तार नहीं करते हैं।
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क्या है विभागीय आदेश
बिहार सरकार समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव ने संकल्प संख्या 1846 दिनांक 10 जून 2010 को बाल विकास परियोजना अंतर्गत महिला पर्यवेक्षिकाओं के रिक्त पदों को भरने हेतु अनुबंध के आधार पर नियोजन हेतु मार्गदर्शिका जारी किया था। महिला पर्यवेक्षिका के अनुबंध के आधार पर नियोजन व चयन के लिए जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में एक चयन समिति का गठन किया गया। जिसमें सदस्य सचिव बालविकास परियोजना के डीपीओ को बनाया गया। संकल्प के कंडिका 10 में स्पष्ट वर्णित है कि बाल विकास परियोजना पदाधिकारी समेकित रूप से योग्य-अयोग्य महिला पर्यवेक्षिका की सूची एवं प्रस्ताव अनुमोदन हेतु अनुबंध समाप्त होने के दो माह पूर्व चयन समिति के सदस्य सचिव को उपलब्ध कराएंगे। सदस्य सचिव प्राप्त प्रस्ताव पर अनुबंध समाप्त होने के पूर्व जिला स्तरीय चयन समिति का अनुमोदन प्राप्त कर महिला पर्यवेक्षिका का अनुबंध संबंधी आदेश जिला पदाधिकारी के हस्ताक्षर से निर्गत करेंगे।
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लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी का आदेश
लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी अशोक कुमार झा ने दायर परिवाद पर सुनवाई के उपरान्त बुधवार को अंतिम आदेश पारित किया है। जिसमें उल्लेखित किया गया है कि विभागीय संकल्प के अनुसार महिला पर्यवेक्षिकाओं को दिया गया अवधि विस्तार नियमानुकूल नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि यह अवधि विस्तार अवधि समाप्ति के काफी बाद भूतलक्षी प्रभाव से किया गया है। डीपीओ चयन समिति के सदस्य सचिव हैं, सदस्य सचिव होने के नाते विभागीय नियमों की जानकारी चयन समिति को देना डीपीओ का दायित्व है। चयन समिति को विभागीय प्रावधान की जानकारी नहीं देकर भूतलक्षी प्रभाव से अवधि विस्तार करवा लिया गया है। इनका यह कृत इनके विरुद्ध कार्रवाई का पर्याप्त आधार है। जिला पदाधिकारी से अनुरोध है कि प्रश्नगत मामले में लोक प्राधिकार डीपीओ आईसीडीएस सुपौल के विरुद्ध निययमानुसार कार्रवाई करना चाहेंगे।
Posted By: Jagran
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