जासं, शेखपुरा:
शुक्रवार को भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारक और साहित्य जगत में प्रख्यात कवित्री सावित्रीबाई फुले को उनकी जयंती पर श्रद्धा पूर्वक याद किया गया। जयंती समारोह का आयोजन बरबीघा के डॉ श्रीकृष्ण सिंह आईटीआई में किया गया।
मौके पे संस्था के निदेशक अरुण साथी ने कहा कि सावित्रीबाई फुले अपने पति ज्योतिराव गोविदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। वे प्रथम महिला शिक्षिका थीं। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है। 1852 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की।
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सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं।
महात्मा ज्योतिबा को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है। उनको महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। सावित्रीबाई फुले स्कूल जाती थीं, तो विरोधी लोग पत्थर मारते थे। उन पर गंदगी फेंक देते थे। आज से 160 साल पहले बालिकाओं के लिये जब स्कूल खोलना पाप का काम माना जाता था कितनी सामाजिक मुश्किलों से खोला गया होगा सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया।
जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फैंका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं। इस मौके पर कॉलेज के शिक्षक रूपेश कुमार, रोहित कुमार, राजीव कुमार, शैलेंद्र सिंह, राजेश कुमार इत्यादि लोग उपस्थित रहे।
Posted By: Jagran
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