संवाद सूत्र, सहरसा : कोसी क्षेत्र से प्रत्येक दिन लगभग तीन हजार मजदूर बिहार के बाहर अन्य प्रांत के लिए पलायन करते है। रोजगार की तलाश में हर दिन मजदूरों की टोली सहरसा से चलने वाली लंबी दूरी की ट्रेनों से पलायन कर रहे हैं। मजदूरों को गांवों में काम नहीं मिलता है। जिस कारण मजदूर बिहार के बाहर अमृतसर, पंजाब, लुधियाना, जालंधर, दिल्ली आदि जगहों पर पलायन करते हैं।
जिले के महिषी के रहनेवाले अनमोल सादा, बिहारी सादा, अखौरी ने बताया कि गांव में काम नहीं है, बाहर में पांच सौ रुपये मजदूरी प्रतिदिन मिल जाता है। घर से बाहर पांच छह महीना लगातार काम करने के बाद घर लौटते है तो टूटे घर को बनाने के लिए भी जुगाड़ हो जाता है। यहां तो पेट भी भरना मुश्किल है। गांव में कोई सरकारी सुविधा भी नहीं मिलती। डीलर अनाज भी नहीं देते हैं।
सहरसा से चलती है गरीब रथ क्लोन स्पेशल ट्रेन
सहरसा से अमृतसर के लिए सप्ताह में तीन दिन चलने वाली गरीब रथ एक्सप्रेस एवं प्रतिदिन चल रही क्लोन एक्सप्रेस ट्रेन में सहरसा से मजदूरों की टोली हर दिन पलायन करती है। गरीब रथ में अधिकतर मजदूर ही रहते है। इन दिनों बनमनखी-सहरसा-अमृतसर जनसेवा एक्सप्रेस ट्रेन बंद रहने के कारण कोसी इलाका से बड़ी संख्या में मजदूर दरभंगा जाकर अमृतसर सहित अन्य जगहों के लिए ट्रेन पकड़ते है। दरभंगा से हर दिन अमृतसर सहित अन्य महानगरों के लिए प्रतिदिन ट्रेनें खुलती है। गरीब रथ ट्रेन में चढने के लिए मजदूरों के बीच मारा-मारी की स्थिति रहती है। सहरसा स्टेशन से हर दिन करीब दो से तीन हजार मजदूर प्रतिदिन पलायन कर रहे है।
रोज छूट जाते हैं सैकड़ों मजदूर
ट्रेनों में सीट नहीं मिलने के कारण हर रोज सैकड़ों मजदूर सहरसा स्टेशन पर ही छूट जाते है। सहरसा से चल रही ट्रेनों में टिकट नहीं मिलने के कारण मजदूरों को आर्थिक परेशानी उठानी पड़ती है। जिससे उन्हें एक दो रात सहरसा स्टेशन पर ही गुजारनी पड़ती है। सुपौल जिले के पिपरा गांव के रामकिशुन सादा, ब्रजेश ने कहा कि वे लोग यहां कल से ही है। जालंधर जाना है। टिकट कंफर्म नहीं मिल रहा है। सहरसा स्टेशन पर सैकड़ों मजदूर प्लेटफार्म सहित यात्री विश्रामशाला मे ट्रेन के इंतजार में बैठे रहे।