संवाद सूत्र, सहरसा: जिले के निजी विद्यालयों में राइट टू एजुकेशन के तहत बच्चों को मिल रही मुफ्त शिक्षा के एवज में प्रतिपूर्ति राशि नहीं मिली है। पिछले चार वर्षों से जिले के निजी विद्यालयों का शिक्षा विभाग पर बकाया है। शैक्षणिक सत्र 2018-19 से ही आरटीई की राशि निजी विद्यालयों को नहीं मिलने से उनके समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न आ गयी है। राइट टू एजुकेशन के तहत छह वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का प्रावधान है। जिले में करीब 300 निजी विद्यालय शिक्षा विभाग से संबद्ध है। इन्हीं निजी विद्यालयों में समाज के पिछडे व आर्थिक रूप से निर्बल समुदाय के बच्चों के लिए पहली कक्षा में 25 फीसद सीट आरक्षित रहती है। ऐसे बच्चों की पढ़ाई के लिए ही निजी विद्यालयों को शिक्षा विभाग द्वारा प्रतिपूर्ति राशि दी जाती है। प्रथम वर्ग में नामांकित बच्चों की संख्या की तुलना में 25 फीसद बच्चे निशुल्क पढ़ाई करते हैं। जिले में इस वित्तीय वर्ष के लिए 257 निजी विद्यालयों ने आनलाइन अप्लाय किया है। इससे पहले भी वर्ष 2018 से ही इन विद्यालयों का आटीई का पैसा बकाया चला आ रहा है।
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डिमांड के विरूद्ध 17 प्रतिशत आया आवंटन
शिक्षा विभाग में आरटीई प्रतिपूर्ति की राशि इस वित्तीय वर्ष में की गयी डिमांड के विरूद्ध मात्र 17 प्रतिशत ही आयी है। जिस कारण इस वर्ष भी आधी अधूरी ही राशि स्कूल संचालकों को मिल पाएगी। वर्ष 2018-19 से ही वर्ष 2022- 23 तक विभाग पर स्कूलों का बकाया राशि के कारण स्कूल संचालकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
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निजी स्कूल को आरटीई की प्रतिपूर्ति की राशि नहीं दी गयी है। आवंटन आ गयी है। आवंटन कम होने के बाद उसी अनुपात से सभी को आरटीई की प्रतिमूर्ति राशि वितरित करने का निर्देश दिया गया है।
जियाउल होदा खा, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, स्थापना