संवाद सहयोगी, लखीसराय : बच्चों के लिए टीकाकरण बहुत जरूरी है। यह शरीर में बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता पैदा करता है। साथ ही एंटीबाडी बनाकर शरीर को सुरक्षित रखता है। टीकाकरण से बच्चों में जानलेवा बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। शिशुओं की मौत की एक बड़ी वजह उनका सही तरीके से टीकाकरण नहीं होना है। ये बातें सिविल सर्जन डा. देवेंन्द्र कुमार चौधरी ने टीकाकरण की आवश्यकता पर बोलते हुए कही। उन्होंने बताया की टीकाकरण संक्रमण के बाद या बीमारी के खिलाफ व्यक्ति की रक्षा करता और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है। शिशुओं को स्तनपान कराने से भी उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली तेज होती है। टीकाकरण से बच्चों को चेचक, हेपेटाइटिस जैसी अन्य बीमारियों से बचाया जा सकता है। बीसीजी, हेपेटाइटिस-ए, हेपेटाइटिस-बी, डीटीपी, रोटावायरस वैक्सीन, इन्फ्लूएंजा व न्यूमोनिया से बचाव के लिए टीकाकरण किए जाते हैं। उन्होंने बताया की मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम इसी उद्देश्य के लिए चलाया गया।
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जानिए वैक्सीन के बारे में
बीसीजी वैक्सीन : बीसीजी टीका के जरिए बच्चे को टीबी की बीमारी से बचाया जा सकता है। बच्चों के जन्म लेने के तुरंत बाद उन्हें बीसीजी के टीके लगाए जाते हैं। यह भविष्य में क्षयरोग, टीबी, मेनिनजाइटिस आदि रोगों के संक्रमण की संभावना को कम करता है।
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हेपेटाइटिस ए : हेपेटाइटिस ए विषाणुजनित रोग है, जो लीवर को प्रभावित करता है। दूषित भोजन, पानी या संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने की वजह से यह रोग फैलता है। बच्चों में यह रोग ज्यादा होता है। हेपेटाइटिस-ए वैक्सीन का पहला टीका बच्चों को जन्म के एक साल बाद लगाया जाता और दूसरा टीका पहली डोज के छह महीने बाद लगाया जाता है।
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हेपेटाइटिस बी : हेपेटाइटिस-बी रोग से बच्चों के लीवर में जलन और सूजन हो जाती है। नवजात शिशुओं को जन्म के बाद पहली डोज, चार हफ्ते बाद दूसरी डोज और आठ हफ्ते के बाद हेपेटाइटिस-बी की तीसरी डोज दी जाती है।
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डीटीपी : बच्चों को डिप्थीरिया, टेटनस, काली खांसी जैसी गंभीर बीमारियों की रोकथाम के लिए डीटीपी का टीकाकरण किया जाता है। बच्चों को जन्म के छह हफ्ते बाद डीटीपी का पहला टीका लगाया जाता है।