जासं, सहरसा: पूर्व सांसद लवली आनंद ने कहा कि जेल में बंद आनंद मोहन की रिहाई के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा। इसके साथ ही जनता की अदालत में भी मजबूती से उठाकर देशव्यापी मुहिम बनाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि आनंद मोहन की रिहाई में परिहार नहीं देना नैसर्गिक न्याय विरुद्ध है। राज्य सरकार राजनीतिक नफा-नुकसान देखकर परिहार दे रही है। सेक्शन 432 (सीआरपीसी) और सेक्शन 55(आइपसी ) राज्य सरकार को परिहार देने का अधिकार देती है। इसी संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट का फैसला दिनांक तीन अगस्त 2021 को आया था। जिसमें कहा गया था कि 14 साल पूरा कर चुके उम्रकैद के कैदियों को सरकार रिहा करें। इसी तरह जस्टिस कौल और जस्टिस राय के बेंच से सुप्रीम कोर्ट का आदेश दिया गया कि आजीवन कारावास की सजा पाए गए कैदियों को परिहार का अधिकार है। सभी राज्य सरकार को यह आदेश जारी किया गया कि टाइम लाइन तय करके कैदियों को छोड़ा जाए। बिहार में ऐसा नहीं होने से सैकड़ों की संख्या में ऐसे कैदी जेलों में निरुद्ध हैं जो अपनी निर्धारित सजा 14 वर्ष पूरी कर चुके हैं। पूर्व सांसद ने कहा कि सात मार्च 2017 को बिहार में ही पटना हाईकोर्ट के जस्टिस नवनीति प्रसाद सिंह एवं जस्टिस विकास जैन की बेंच ने यह आदेश दिया कि चाहे जुर्म कितना भी जघन्य क्यों न हो, कैदी को उसके परिहार के अधिकार से वंचित नहीं रखा जा सकता। दिल्ली की मशहूर घटना जेसिका लाल मर्डर केस के मुख्य मुजरिम को समय पूर्व रिहा कर दिया गया और दिल्ली सरकार ने साढ़े 13 वर्षों में ही परिहार की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली। विधायक चेतन आनंद ने कहा कि बिहार के प्रभारी गृह मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने आनंद मोहन को लेकर सदन में जो वक्तव्य दिया है वह भ्रामक और गुमराह करने वाला है। कारण 2012 में लाया गया कोई संशोधन या जेल मैनुअल 2007 में सजा प्राप्त बंदी पर लागू नहीं होता।