जासं, सहरसा: शराबबंदी सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। हर रोज शराब भी पकड़ी जा रही है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में शराब छुड़ाने के लिए खोला गया नशामुक्ति केंद्र में कई माह से ताला लटक रहा है, जबकि शराब की लत छुड़ाने के लिए शुरुआती दौर में महज 23 शराबी पहुंचे जबकि कोसी प्रमंडल में 20 हजार आदतन शराबी हैं। जिसमें महिलाओं की संख्या तीन सौ है। ----
10 बेड का खुला था केंद्र
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एक अप्रैल 2016 को सदर अस्पताल में 10 बेड का नशा मुक्ति केंद्र खोला गया था। केंद्र में एसी, डिस टीवी के साथ मनोरंजन के साधन उपलब्ध कराया गया था। 10 बेड के भवन निर्माण के लिए 10 लाख की राशि भी भवन निर्माण विभाग को आवंटित किया गया था। जबकि पांच लाख से अधिक का उपस्कर व दो लाख की लागत से दवा की खरीदगी की गई थी। चिकित्सक व कर्मी की प्रतिनियुक्ति की गई। लेकिन अब केंद्र वीरान रहता है और ताला लटका रहता है।
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अब भी प्रतिनियुक्त हैं कर्मी व डाक्टर
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जानकारी के अनुसार नशा मुक्ति केंद्र के प्रभारी डा. रविद्र मोहन हैं। जबकि कर्मी भी प्रतिनियुक्त हैं। लेकिन एक भी कर्मी केंद्र पर नजर नहीं आते हैं अगर कोई मरीज आ भी जाता है तो उसे भर्ती नहीं किया जाता है। उसे यह कहकर लौटा दिया जाता है कि केंद्र बंद हो गया।
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आशा को करनी थी पहचान
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ग्रामीण क्षेत्र के कार्यरत आशा को शराबियों के पहचान करने की जिम्मेवारी सौंपी गई थी। आशा कार्यकर्ता को कुछ सवाल पूछकर आदतन शराबी की पहचान की जानी थी। उसके बाद ऐसे शराबी को नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराने की जिम्मेवारी दी गई। परंतु वह अभियान भी सफल नहीं हो पाया।
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बरामद हो रही शराब, पकड़े जा रहे हैं शराबी
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हर दिन शराब की बरामद हो रही है और शराबी भी पकड़े जा रहे हैं लेकिन नशा मुक्ति केंद्र तक शराबी नहीं पहुंच पा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण जो शराबी के स्वजन उसे लेकर आते भी हैं तो उनका इलाज नहीं हो पाता है।
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आंकड़ों में आदतन शराबी
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जिला- पुरुष- महिला
सहरसा: 11189- 276
सुपौल: 3170- 276
मधेपुरा: 5595- 13