सहरसा। पंचायत चुनाव हो और सत्तू की चर्चा न हो भला ऐसे कैसे हो सकता है। प्रत्याशी हो या कार्यकर्ता सुबह की शुरुआत इसी के साथ करते हैं। मौसम में थोड़ी गर्मी हो तो इसकी अहमियत बढ़ जाती है। पंचायत चुनाव हो और सत्तू की मांग न हो भला ऐसा कैसे हो सकता है।
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सबको है इसकी दरकार
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प्रत्याशी, कार्यकर्ता से लेकर चुनाव में लगे अधिकारी से लेकर पुलिस जवानों तक को सत्तू की दरकार है। इन दिनों सत्तू की मांग बढ़ी है तो इसकी कीमत सातवें आसमान पर है। कुछ लोग इसे गरीबों का भोजन तो कुछ लोग बुजुर्गों के लिये काफी उपयुक्त मानते हैं। तब यह सही था कि साधन के अभाव में पहले लोग कोसों पैदल सफर करते थे। ऐसे में भूख को मिटाने के लिए सूखा सत्तू साथ लेकर चलते थे। रास्ते में जहां भूख लगी बगैर थाली के गमछा बिछाया सत्तू साना खाया, पानी पिया और चलता रहा। मजदूर भी सत्तू का जमकर प्रयोग करते थे लेकिन साधन बढ़ा लोगों में संपन्नता आयी और सत्तू थाली से गायब होने लगी।
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बढ़ी सत्तू की मांग, लग गया पंडाल
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नवहट्टा बाजार में सत्तू बेचने वाले राम भजन कहते हैं कि 10 से 15 किलो सत्तू का कारोबार पहले हुआ करता था। फिलहाल पंचायत चुनाव के कारण प्रतिदिन 50 से 60 किलो तक सत्तू की बिक्री हो रही है। प्रत्याशी के घर व दरवाजे के आगे बड़ा-बड़ा पंडाल लग गया है। कार्यकर्ताओं व समर्थकों को सुबह के समय सत्तू नसीब होता है। खास कार्यकर्ताओं को सुबह-सुबह दही-चूड़ा भी खिलाया जा रहा है।