सहरसा। मंगलवार को सवर्ण मोर्चा सह अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की बैठक में जातीय जनगणना की मांग को अनुचित और राजनीति से प्रेरित करार दिया गया। महासभा के पूर्व अध्यक्ष ज्योति कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में वक्ताओं ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों ने राजनीतिक स्वार्थपूर्ति के लिए जातीय जनगणना की मांग को लेकर प्रधानमंत्री से आग्रह किया, जो पूरी तरह गैरजरूरी और गैर कानूनी भी है। उन्होंने कहा कि बिहार देश का पहला राज्य है, जहां के नेता जातीय जनगणना को लेकर प्रधानमंत्री से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। यह बिहार का दुर्भाग्य है कि इस पवित्र ऐतिहासिक धरती पर जातपात की राजनीतिक सिर्फ कुर्सी के लिए की जा रही है। कहा कि विगत 32 वर्षों से इस चक्कर में लघु उद्योग या कुटीर उद्योग तक का प्रयास नहीं किया गया। नया कल-कारखाना खोजा जाना तो दूर है। जो उद्योग चल रहा था, वह भी बंद हो गया। हाल में नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार सबसे निचले पायदान पर है। क्षत्रिय महासभा ने कहा कि विकास के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को एकजुटता प्रदर्शित कर प्रधानमंत्री से मुलाकात नहीं किया। आश्चर्य और दिलचस्प बात यह भी है कि जो राष्ट्रीय पार्टी बिहार में जातिगत जनगणना चाहती है, वह दूसरे प्रदेशों में नहीं है। जातीय जनगणना की जगह आर्थिक जनगणना होना चाहिए। आरक्षण भी आर्थिक आधार पर होना चाहिए। बैठक में कुमार आशुतोष, संजय राणा, चंदन वर्मा, संजीव सिंह, पंपल सिंह, गुड्डू बादशाह, आशीष सिन्हा, अमर कुमार, पिकू सिंह, विपुल सिंह, मंटू झा, अवनीश सिंह, विक्कू कश्यप, कुमार सौरभ, निशांत ठाकुर, गुड्डू झा, प्रवीण कुमार, रोशन सिंह, आशीष सिंह, मनीष सिंह आदि मौजूद रहे।