सहरसा। वर्ष 2022 तक किसानों के साथ मत्स्यपालकों की आमदनी बढ़ाने के लिए के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है।
कोसी क्षेत्र में जहां राज्य योजना से पूर्व से ही मत्स्यपालकों को लाभान्वित किया जा रहा है। वहीं इस वर्ष प्रारंभ हुए प्रधानमंत्री विशेष पैकेज से कोसी क्षेत्र में खासकर झींगा मछली को बढ़ावा देने की रणनीति बनाई जा रही है। विभाग का मानना है कि इस क्षेत्र की झींगा मछली बेहद स्वादिष्ट होती है,जिसकी विदेशों में काफी मांग है। नर्सरी तालाबों और छोटे-छोटे जलकरो का इसके उत्पादन हेतु उपयोग किया जाएगा। इससे मत्स्यपालक काफी लाभांवित होंगे। इलाके की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
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विशेष पैकेज से 60 फीसद मिलेगा इनपुट अनुदान
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प्रधानमंत्री विशेष पैकेज से जहां तालाब के निर्माण पर सामान्य वर्ग को 40 फीसद और अनुसूचित जाति को 60 फीसद अनुदान का प्रावधान किया गया है, वहीं मत्स्यपालन के लिए अलग से लागत पर 50 फीसद इनपुट अनुदान निर्धारित किया गया है। विभाग द्वारा मत्स्यपालन के लिए एक एकड़ पर डेढ़ लाख कुल लागत तय किया है। इस लिहाज से एक एकड़ जलकर के मत्स्यपालन के लिए 75 हजार का अनुदान दिया जाएगा। इस योजना से झींगा मछली के उत्पादन पर विशेष जोर दिया जाएगा। इससे इलाके के मत्स्यपालक काफी लाभांवित होंगे।
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राज्य योजना से भी मत्स्यपालकों को किया जा रहा प्रोत्साहित
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राज्य योजना के अंतर्गत मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना के तहत अनुसूचित जाति-जनजाति और अति पिछड़ी जाति के मत्स्यपालकों को 90 फीसद अनुदान पर मत्स्य विपणन की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इसके तहत गांव-गांव तक ताजी मछली पहुंचाने के लिए वाहन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके लिए संबंधित मत्स्यपालकों को महज दस फीसद राशि स्वयं वहन करना होगा। इन सभी योजनाओं से कोसी क्षेत्र में मत्स्यक्रांति आ सकती है। यह इलाका मछली के लिए दूसरे प्रदेशों पर निर्भर नहीं होगा, बल्कि यहां से ही दूसरी जगहों में मछलियां भेजी जाएगी।
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कोट
इस इलाके में मत्स्यपालन की काफी संभावनाएं है। मुख्यमंत्री मत्स्य विकास योजना के साथ प्रधानमंत्री विशेष पैकेज इलाके के लिए वरदान साबित होगा। झींगा मछली का उत्पादन काफी फायदेमंद होगा। इसका इलाके के मत्स्यपालकों को काफी लाभ मिलेगा।
सुबोध कुमार
उप मत्स्य निदेशक, सहरसा।