सहरसा। जिस कचरे को बेकार समझ फेंक दिया जाता था। अब वहीं कचरा किसानों की किस्मत बदलने में सबसे बड़ा उपयोगी साबित होगा। अब गांव स्वच्छ होगा और कचरे से खाद बनाया जाएगा। नैडेप कंपोस्ट के जरिये कचरे से जैविक खाद बनाई जाएगी। कचरा प्रबंधन की इस नई तकनीक से किसानों को कम लागत पर अधिक खाद उपलब्ध होगी तथा लोगों को कचरे से मुक्ति भी मिलेगी।
मनरेगा के तहत नैडेप योजना की शुरुआत कर कचरे से जैविक खाद्य बनाने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए मनरेगा से इस योजना को बढ़ावा देने का प्रयास प्रखंड में शुरू कर दिया गया है। नैडेप कंपोस्ट से जहां किसानों को कम लागत में अधिक मात्रा में खाद्य उपलब्ध हो जाएगी वहीं सड़क किनारे जमा कचरे की सड़ांध से भी लोगों को निजात मिलेगी।
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क्या है विभागीय नियम
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मनरेगा द्वारा व्यक्तिगत लाभ के तहत किसानों को 9100 राशि से तीन मीटर लंबा एवं 1.5 मीटर चौड़ा व नौ मीटर गहरा नैडेप कंपोस्ट बनाया जाएगा। इसमें जमा कचरे से शीशा , प्लास्टिक व पत्थर को हटाकर शेष कचरे को डाल तथा ऊपरी हिस्से में चार से पांच किलोग्राम गोबर में 10.15 लीटर पानी घोलकर दिया जाएगा। 90 से सौ दिन के अंदर कचरा जैविक खाद में तब्दील हो जाएगा। नैडेप कंपोस्ट के एक चक्र में एक टन खाद तैयार होगा जो 25 हेक्टेयर कृषि भूमि के लिए पर्याप्त है। इन पोषक तत्वों के अलावा नैडेप कंपोस्ट में सूक्ष्म पोषक तत्व और जीवाणु भी प्रचुर मात्रा में होती है जो पौधों के स्वस्थ विकास के साथ उसकी कीट व्याधि से सुरक्षा करती है।
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नैडेप कंपोस्ट में पाए जाने वाले तत्व
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01. नाइट्रोजन 0.5 से 1.5 प्रतिशत।
02. फास्फोरस 0.5 से 0.9 प्रतिशत।
03. पोटाश 1.2 से 1.4 प्रतिशत।
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व्यक्तिगत लाभ के तहत नैडेप योजना से किसानों को लाभान्वित किया जाएगा। दुर्गंध दे रहे कचरा से जैविक खाद बनाया जाएगा। इससे किसानों को कम लागत में बेहतर खाद उपलब्ध होगा।
सुमित कुमार सिंह
पंचायत तकनीकी सहायक ,
सत्तरकटैया। में