सहरसा। सदर अस्पताल में सर्पदंश पीड़ित नवजात बच्चे की जान बचाने वाले डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी सम्मानित होंगे। गुरूवार को जिलाधिकारी कौशल कुमार ने यह बातें कही। सदर अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे डीएम ने कहा कि दो दिन पूर्व ही सदर अस्पताल में बिजली के कटे रहने पर मोबाइल की रोशनी में करीब एक वर्ष के बच्चे अंकित कुमार का इलाज चिकित्सक डा. जमालउद्दीन ने किया। अंधकार होने के बाद भी सर्पदंश के शिकार हुए बच्चे का निरंतर इलाज करते रहे। इलाज में स्वास्थ्यकर्मी सहित अस्पताल प्रबंधक अमित कुमार चंचल ने भी मेहनत की। इन लोगों के बदौलत ही बच्चे की जान बच पायी। जिलाधिकारी ने कहा कि अगर समय पर इलाज नहीं किया जाता तो बच्चे का बचना मुश्किल होता। क्योंकि बच्चे का आक्सीजन लेवल 30 के करीब आ गया था। यह तो चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मियों की मेहनत का ही परिणाम है कि बच्चे को 12 एंटी डोज इंजेक्शन दिया गया। ऐसे चिकित्सक व कर्मी जिन्होंने समय की नजाकत एवं बच्चे की नाजुक हालत को देखते हुए मोबाइल की रोशनी में लगातार इलाज कर उसे एक नया जीवन दिया है। यह प्रशंसनीय है। डीएम ने यह भी कहा कि बच्चे के इलाज में देरी हो जाती तो जान जा सकती थी। स्वास्थ्यकर्मियों की टीम ने पहले बच्चे की जान बचायी और इलाज के दौरान ही उसे समय रहते ही आक्सीजन उपलब्ध कराया। मालूम हो कि तीन अगस्त की शाम करीब सवा पांच बजे जिले के महिषी आरापट्टी निवासी जीवन कुमार के एक वर्षीय पुत्र अंकित कुमार को गंभीर हालत में सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मामले में मौजूद चिकित्सक ने बिजली कटी रहने पर अंधकार में ही मोबाइल की रौशनी में बच्चे का इलाज कर उसकी जान बचायी।------------------------
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आक्सीजन प्लांट को लेकर सुबह से ही चल रहा था जेनरेटर
जिलाधिकारी कौशल कुमार ने कहा कि सदर अस्पताल में आक्सीजन प्लांट को लेकर सुबह से ही जेनरेटर चल रहा था। शाम में करीब पांच बजे जेनरेटर में कोई समस्या उत्पन्न हुई। जिसकी जांच कर ली गयी है। आउट सोर्सिंग के विरूद्ध कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। अस्पताल में बिजली नहीं रहने पर जेनरेटर की आपूर्ति के लिए नए सिरे से टेंडर किया गया है। बिजली कटने के बाद भी अब बिजली आपूर्ति की कोई समस्या नहीं रहेगी। इसके लिए दिशा निर्देश दिया गया है।
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जांच रिपोर्ट समर्पित
सिविल सर्जन डा. अवधेश कुमार के निर्देश पर गठित दो सदस्यीय जांच कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट सिविल सर्जन को समर्पित कर दी है। जिसमें बिजली गुल होने की स्थिति में जेनरेटर बंद रहने के मामले की जांच में पाया कि करीब 40 मिनट जेनरेटर बंद रहा। एयर लेने के कारण जेनरेटर बंद हो गया। एसीएमओ डा. किशोर कुमार मधुप के नेतृत्व में बनी कमेटी में डा. रविद्र कुमार सिंह भी थे। जांच कमेटी ने हर हमेशा ईंधन का स्टॉक रखने की बात कही है। जिससे भविष्य में इस घटना की पुनरावृति न हो पाए।
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इमरजेंसी में लगा इनवर्टर
सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में इनवर्टर लगा दिया गया है। जिससे बिजली कटने की भी स्थिति में हर हमेशा बिजली आपूर्ति होती रहेगी। जेनरेटर बंद रहने के बाद भी बिजली की आपूर्ति रहेगी। सिविल सर्जन डा. अवधेश कुमार ने कहा कि अंधकार की कोई समस्या अब नहीं रहेगी।