सहरसा। फसल कटनी के बाद खेत में बचे अवशेष को जैविक खाद बनाकर इस्तेमाल किए जाने से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। इससे डेढ़ गुणा तक फसल के उपज में वृद्धि हो सकती है। अवशेष को खेत में छोड़ने से खाद बन सकता है। इसको लेकर कृषि विज्ञानियों द्वारा किसानों को जागरूक किया जा रहा है।
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क्या है फसल अवशेष
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फसल अवशेष पौधे का वह भाग होता है जो फसल की कटाई और गहाई के बाद खेत में छोड़ दिया जाता है। भूसा, तना, डंठल, पत्ते और छिलके आदि फसल अवशेष कहलाते हैं। सरसों, गेहूं, धान, ग्वार, मूंग, बाजरा, गन्ना व अन्य दूसरी फसलों से काफी मात्रा में फसल अवशेष मिलते हैं।
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कैसे बनेगी जैविक खाद
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मंडन भारती कृषि अनुसंधान केंद्र अगवानपुर के विज्ञानियों के अनुसार फसल काटने के बाद खेत में बचे फसल अवशेष की जैविक खाद के तौर में इस्तेमाल किया जा सकता है। कटाई के बाद खेत की जुताई कर अवशेष को मिट्टी में मिलाने के बाद खेत में पानी डालकर प्रति हेक्टेयर दो से पांच किलो यूरिया खेत में डालने से अवशेष जल्द सड़ जाएगा। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी और पैदावार भी पूर्व की तुलना में अधिक होगी। कंपोस्ट टीका के इस्तेमाल से अवशेष को आसानी से गलाया जा सकता है। 10 से 15 किलोग्राम गोबर की खाद में करीब आधा लीटर टीका डालकर छिड़काव करने से अवशेष खाद बन जाएगा।
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फसल अवशेष जलाने से उर्वरा शक्ति में होती है कमी
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विज्ञानी के अनुसार खेतों में फसल अवशेष जलाने से भूमि की उर्वराशक्ति में कमी आती है। अवशेष जलाने से 100 प्रतिशत नत्रजन , 25 प्रतिशत फास्फोरस , 20 प्रतिशत पोटाश और 60 प्रतिशत सल्फर का नुकसान होता है। जिसके कारण भूमि के कार्बनिक पदार्थों का ह्रास होता है। फसल अवशेषों से मिलने वाले पोषक तत्वों से मृदा वंचित रह जाती है। साथ ही जमीन की ऊपरी सतह पर रहने वाले मित्र कीट और केंचुआ आदि भी नष्ट हो जाते हैं।
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कोट
फसल में पाए जाने वाले नाइट्रोजन, फास्फेट और पोटाश खेत में लगी फसल के अवशेष के साथ मिट्टी में मिल जाता है जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है और उपज बढ़ती है। इसको लेकर गांवों में किसान चौपाल आयोजित कर किसानों को जागरूक करने का अभियान जारी है।
डॉ. उमेश प्रसाद सिंह, प्राचार्य
मंडन भारती कृषि महाविद्यालय, अगवानपुर