मधेपुरा। अजीब स्थिति है। कोरोना काल में पिछले साल से विद्यालय बंद हैं, लेकिन विभाग समग्र विद्यालय अनुदान के तहत दी गई राशि को कहां खर्च किया गया उसकी उपेयागिता प्रमाणपत्र मांग रहा है। अब सवाल उठता है कि जब विद्यालय बंद थे तो राशि खर्च किस मद में की गई। कई विद्यालय तो मरम्मत व रंग रोगन के मद में खर्च को लेकर उपयोगिता प्रमाणपत्र देने की तैयारी में है।
मालूम हो कि कोरोना काल से पूर्व समग्र विद्यालय अनुदान के तहत विद्यालय को विकास मद की राशि मिली थी। अब विभाग उसका उपयोगिता प्रमाण पत्र मांग रहा है। इसके लिए 30 जून का अल्टीमेटम दिया गया था, लेकिन विद्यालय उपयोगिता प्रमाण पत्र देने के नाम पर केवल औपचारिता निभा रहे हैं।
बता दें कि सरकार द्वारा भेजे गए 15.43 करोड़ रुपये का वितरण विद्यालय को किया गया था। इसमें गड़बड़ी की आशंका व्यक्त की जा रही है। जानकार बताते हैं कि जब कोरोना काल में विद्यालय बंद हैं तब विद्यालय किस चीज का उपयोगिता प्रमाण पत्र दे रहे हैं। बताया गया कि समग्र शिक्षा में विकास व मरम्मत के नाम पर नवसृजित से लेकर हाई स्कूल तक को 25 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक दिए गए थे, लेकिन इस बीच कोरोना के कारण विद्यालय बंद हो गया, लेकिन सरकार इस खाता को जीरो करना चाहती है। अब विद्यालय बिना विकास मद में खर्च किए ही फर्जी कागजात के आधार पर उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने में लगे हैं।
कोट सरकार का निर्देश है कि उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा कर इस मद के खाते को ही जीरो करना है। खर्च का हिसाब पर हमलोग मानिटरिग कर रहे हैं। वीरेंद्र नारायण यादव, डीईओ, मधेपुरा
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