सहरसा। बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध करानेवाली प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) का जिले में बुरा हाल है। जिला साख समिति के निर्णयानुसार वित्तीय वर्ष 2020- 21 में 67 लाभुकों के बीच रोजगार के लिए ऋण दिया जाना था। इसके लिए आवेदनों की संवीक्षा उपरांत जिला उद्योग केंद्र से विभिन्न बैंकों को 117 आवेदन भेजा गया। वित्तीय वर्ष समाप्ति के तीन महीने बाद भी लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सका। भेजे गए आवेदनों में अबतक बैंकों द्वारा मात्र 49 को स्वीकृति दी गई। इस स्वीकृत आवेदनों में भी मात्र 37 लाभुकों को ऋण का भुगतान किया गया। बैंकों की मनमानी से योजना दम तोड़ रही है। शेष लाभुक उद्योग विभाग और बैंकों की चक्कर लगा रहे हैं।
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महज एक करोड़ 45 लाख ऋण का किया गया वितरण
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बेरोजगार युवाओं को मशाला उद्योग, आटा उद्योग, पेभर ब्लॉक प्लांट, गेट ग्रिल, ट्रंक निर्माण किराना व अन्य दुकान खोलने के लिए इस योजना के तहत परियोजना के आधार पर ऋण दिए जाने का प्रावधान है। इसके लिए जिले के 451 आवेदकों ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में आवेदन दिया। बैंकों द्वारा इसमें 334 आवेदनों को अस्वीकृत कर
दिया गया। 49 आवेदन स्वीकृत किया गया, और 68 आवेदन बैंक में प्रक्रियाधीन रह गया है। लक्ष्य के अनुसार कम से कम दो करोड़ दो लाख रूपये का वितरण किया जाना था, परंतु अबतक मात्र 37 लाभुकों के बीच एक करोड़ 45 लाख 88 हजार का वितरण किया गया।
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ऋण वितरण में उदासीन है कई बैंक
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पीएमईजीपी योजना के लाभुकों को रोजगार हेतु ऋण प्रदान करने में जिले के कई बैंक बेहद
उदासीन साबित हुए हैं। बैंक आफ बड़ौदा, यूनियन बैंक, एक्सिस बैंक, बंधन बैंक, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक ने जहां एक भी आवेदन अबतक स्वीकृत नहीं किया, वहीं एसबीआई, बैंक आफ इंडिया आदि के ऋण वितरण की स्थिति संतोषजनक नहीं है। फलस्वरूप इन बैंकों में भेजे गए काफी आवेदनों का निष्पादन नहीं हो पा रहा है।
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कुछ बैंकों की लापरवाही के कारण समय पर लक्ष्य पूरा नहीं हुआ। जिलाधिकारी ने इसे तुरंत पूरा करने का निर्देश दिया है। उदासीनता बरतनेवाले बैंकों के वरीय अधिकारियों को इसके लिए लिखा जाएगा।
केके भारती
महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र, सहरसा।
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