मधेपुरा। कोरोना संक्रमण के इस दौर में ऑक्सीजन की भारी किल्लत बनी हुई है। दूसरी ओर बाजार से जीवन रक्षक दवा के अलावा पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर भी गायब हो गए हैं। यू कहे तो बाजार में कालाबाजारी चरम पर है। एक तो लोग पहले से मल्टीविटामिन, जिक व विटामिन-सी की दवा का स्टॉक कर बाजार में किल्लत उत्पन्न कर दी गई है। अब ऑक्सीमीटर, बीपी मशीन व थर्मामीटर की कमी से लोग परेशान हैं। इसका सबसे ज्यादा कीमत जरूरतमंद लोगों से वसूला जा रहा है।
बाजार में दवा का थोक व्यापार करने वाले सर्वजीत सिंह ने बताया कि कोरोना काल से पहले पल्स ऑक्सीमीटर 650 रुपये तक में आसानी से मिलता था। अब यह थोक व्यवसायी को ही 1200 से 1300 रुपये तक में मिल रहा है। जीएसटी आदि सभी प्रकार के खर्च निकालकर इसे 1500 से लेकर 1600 रुपये तक बेचना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि इस बार मांग बढ़ने पर थर्मामीटर भी मुश्किल से मिल रहा है। इसकी कीमत 190 रुपये तक है, जबकि पहले 150 रुपये तक में आसानी से मिल जाता था। एक दवा दुकानदार ने बताया कि कभी पांच-छह सौ रुपये में बिकने वाला पल्स ऑक्सीमीटर इस समय 2400 रुपये में बिक रहा है। यही हाल नेबूलाइजर समेत अन्य भाप मशीनों का है जिनके दाम 35 से 55 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं, जो मशीने एक माह पहले 130 रुपये में आती थी, वह अब ढाई सौ तीन रुपये खर्च करने पर भी नहीं मिल पा रही है। दवा व्यवसायी अताउल्लाह काजमी ने बताया कि कोरोना काल में मास्क, सैनिटाइजर, भाप मशीन, फ्लोमीटर व पल्स ऑक्सीमीटर समेत अन्य जीवन रक्षक उपकरणों की डिमांड बढ़ी हैं। विभिन्न कंपनियों ने अलग-अलग दाम में अपने उपकरणों को नए रूप में उतारा है। इन्हें लोग जरूरत व क्षमता के मुताबिक खरीद भी रहे हैं। मनीष एजेंसी के सुनिल अग्रवाल बताते हैं कि पिछले साल से ही पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर की मांग है। इस बार बढ़ गई है। इस बार मूल्य वृद्धि होने का बड़ा कारण जरूरत के अनुसार बाजार में आपूर्ति नहीं होना है।
मानक के अनुरूप नहीं मिल रहा सैनिटाइजर कोरोना खौफ के बीच बाजार में सैनिटाइजर की मांग काफी बढ़ गई है। जबकि बाजार में बिकने वाले अधिकतर सैनिटाइजर मानक के अनुरूप नहीं है। जाने माने चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. अखिलेश कुमार कहते हैं कि बाजार में जो सैनिटाइजर बिक रहा है। वह मानक के अनुसार नहीं है। सैनिटाइजर में कम से 80 फीसदी अल्कोहल होनी चाहिए। जबकि बाजार में मुश्किल से 50 से 60 प्रतिशत युक्त सैनिटाइजर मिल रहा है। वहीं अल्कोहल की जगह इथनॉल का प्रयोग हो रहा है। जबकि दुकानदार पप्पु का कहना है कि बाजार में इसकी डिमांड इस कदर है कि कभी नहीं बिकने वाला सैनिटाइजर का लोग सीधे पांच लीटर वाले पैक की मांग करते हैं। प्रतिस्पद्र्धा के कारण मानक के अनुसार बिकना संभव नहीं है।
कोट हमलोग बाजार पर पूरी नजर रख रहे हैं। जहां कहीं से भी शिकायत आती है, वहां पहुंचकर जांच करते हैं। लोगों को भी ब्रांड व ऑरिजनल कंपनी के सामान खरीदनी चाहिए। -चंद्रकांत झा, ड्रग इंस्पेक्टर,
मधेपुरा सर्किल
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