मधेपुरा। कोरोना संक्रमण के दूसरे आक्रामक दौर का असर रोजी-रोजगार पर भी देखने को मिल रहा है। कोरोना संक्रमण को देख सरकारी स्तर से शादी विवाह में 50 एवं श्राद्ध कार्यक्रम में 20 लोगों के शामिल होने की सीमा तय की गई है। जबकि अन्य समाजिक निजी एवं सामूहिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी गई है। लिहाजा टेंट हाउस संचालक सहित कच्चे फूल के सजावट कर्ता एवं विभिन्न अवसरों पर काम करने वाले मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पाने से उसके समक्ष भूखमरी की नौबत आ गई है। कोरोना काल में अधिकांश विवाह समारोह घरों पर ही आयोजित किए जा रहा है। कोरोना संक्रमण की भयावह स्थिति को देखते हुए कई लोगों ने तो विवाह सहित अन्य कार्यक्रमों की तारीख भी आगे बढ़ा दी है। मालूम हो कि शादी-विवाह का लगन शुरू होने के एक दो माह पूर्व से ही विवाह भवन, होटल, धर्मशाला, टेंट, सामियाना सहित गाड़ियों की बुकिग शुरू हो जाती थी। लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि कोरोना संक्रमण के विपरित परिस्थिति में जहां इसकी बुकिग नही के बराबर हो रही है। वहीं कई अग्रिम बुकिग को रद्द कर दिया गया है। लिहाजा विवाह समारोह में टेंट संचालक, कच्चे फूलों के सजावट कर्ता सहित बाराती व अतिथियों के लिए भोजन बनाने वाले कारीगर व हलवाई को जहां रोजगार के संकट का सामना करना पड़ रहा है। वहीं विभिन्न छोटे चार पहिया वाहन मालिकों को वाहन के किस्त की राशि का जुगाड़ करना भी असंभव लगने लगा है। जबकि बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण अधिकांश लोगों ने अपने निजी भवन के निर्माण कार्य सहित अन्य व्यवसायिक कार्यों को भी तत्काल रोक दिया है। इसका सीधा असर दैनिक मजदूरों की रोजी-रोटी पर हो रहा है। प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों टेंट हाउस संचालकों ने बताया कि गत वर्ष भी शादी-विवाह के लगन के समय कोरोना संक्रमण व लॉकडाउन के कारण व्यवसाय प्रभावित हुआ था। इस वर्ष कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव एवं प्रकोप से रोजी रोजगार पर व्यापक असर पड़ रहा है। विवाह, श्राद्ध एवं अन्य समारोह में कम संख्या में लोगों के शामिल होने की अनुमति होने से कई लोगों ने अग्रिम बुकिग में जहां 75 प्रतिशत सामान की बुकिग को घटा दिया है। वहीं अन्य लोगों ने तिथि बढ़ने की संभावना बताकर किए गए बुकिग को ही रद्द कर दिया है।
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