संस, सहरसा: खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने रबी विपणन वर्ष 2021-22 में गेहूं खरीद का आदेश तो दे दिया है, परंतु सहरसा जिले में अबतक खरीदारी प्रारंभ नहीं हुई है। हालांकि अन्य वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष जिले में गेहूं का उत्पादन कम हुआ है,परंतु विभाग ने 24 सौ एमटी गेहूं खरीद के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किया, उसमें अबतक एक छटांक भी खरीद नहीं हुआ। फलस्वरूप जरूरत के मारे किसान औने-पौने दाम में बाजार और बिचौलिया के हाथ गेहूं बेच रहे हैं, उन्हें समर्थन मूल्य का लाभ प्राप्त नहीं हो रहा है।
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59 समितियों और नौ व्यापार मंडल को मिली खरीद की इजाजत
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सहकारिता विभाग ने जिले के 151 पैक्सों में जनवितरण की दुकान चलाने वाली समितियों को छोड़कर 59 समितियों और 10 में नौ व्यापार मंडल को गेहूं खरीद का आदेश दिया है। इन समितियों के माध्यम से हालांकि सभी पंचायत के किसानों का गेहूं खरीद पाना संभव नहीं है, परंतु जिन जगहों में अधिप्राप्ति संभव भी है, वहां अबतक अधिप्राप्ति शुरू नहीं होने से किसान परेशान हैं।
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क्या कहते हैं किसान
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सहुरिया के किसान रामबदन यादव कहते हैं कि हर वर्ष सरकार धान और गेहूं का खरीद ऐसे समय में प्रारंभ करती है, जब छोटे और मंझोले किसान का खाद्यान्न बिक जाता है। इसबार भी वही स्थिति बनी हुई है। हमलोग अगली खेती और अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए अपना गेहूं बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं। तुलसियाही के भूषण साह का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ अक्सर बड़े किसान, जमाखोर या बिचौलिया को मिलता है। छोटे किसानों के पास गेहूं रखने के लिए साधन नहीं भी नहीं है और उन्हें महाजनों के कर्ज से मुक्ति के लिए महीनों इंतजार करना भी संभव नहीं है। ऐसे में विभाग की रणनीति बनती रह जाती है और लघु-सीमांत किसानों का खाद्यान्न बिक जाता है।
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कोट
गेहूं खरीद के लिए लक्ष्य निर्धारित कर लिया गया है। समितियों का भी चयन कर लिया गया है। उम्मीद है कि जल्द ही अधिप्राप्ति कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा।
सैयद मशरूख आलम,
डीसीओ, सहरसा।
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