डीजे के धुन में गुम हो रहा है फगुआ गीत

मधेपुरा। रंगों का पर्व होली हुड़दंग व मनमौजी करने का पर्व है। इस पर्व में जाति वर्ग व संप्रदाय के भेद भाव को मिटाकर एक-दूसरे को रंग लगाकर एकता का संदेश देते है। इस पर्व को लेकर विगत एक दशक से बदलाव देखने को मिल रहा है। डीजे व आडियो कैसेटों के धुन में फगुआ गीत गुम होता जा रहा है। अब न तो ढोलक की थाप पर चैता-चैपाल सुनाई पड़ रही है और न ही समूहों द्वारा गाए जाने वाले फगुआ गीत। मालूम हो कि होली पर गाए जाने वाले गीतों के अंदर विशेष भाव छिपे रहते थे। चाहे पिया के वियोग में विरहनी द्वारा फागुन मास में गाये जाने वाले गीत हो या सबकुछ भूल कर होली के रंग में सराबोर होकर गाए जाने वाले फगुआ गीत सभी का लोप होता जा रहा है। गांव-गांव मुहल्ले में होने वाले होलिका दहन की परंपरा भी महज औपचारिकता बन कर रह गई है।


सत्संग से मानव जीवन का होता है कल्याण: प्रोमद बाबा
मधेपुरा। जिला मुख्यालय स्थित साहुगढ़ दुल्हाराम टोला में क्षेत्रीय संतमत सत्संग समारोह का आयेाजन नव निर्मित सत्संग भवन परिसर में किया गया। संत्संग में मुख्य प्रवचन कर्ता के रूप में कुप्पा घाट से आएं हुए संतमंत के आचार्य प्रमोद बाबा के प्रवचन से आरंभ किया गया। इस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए आचार्य प्रमोद बाबा ने कहा कि समाज के निर्माण के लिए सदविचार, सदज्ञान सदव्यवहार को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संत ही दानव को मानव बनाने का सबसे बड़ा माध्यम है। उन्होंने कहा कि मानव को शांति के लिए आध्यात्म का सहारा लेना चाहिए। इसी के सहारे उसे मानव जीवन का कल्याण होता है। आज के समय में भगवान भजन व सत्संग में आने से हर प्रकार के दुखो से मुक्ति मिलती है। इसलिए कही भी अगर सत्संग हो वहां जाकार निश्चित ही उसका श्रवण करना चाहिए। उन्होंने सत्संग आयोजन के लिए आयोजन समिति को बधाई भी दी। सत्संग को सफल बनाने में राजकुमार, कंचन कुमार उर्फ पप्पू, सुरेश कुमार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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