सहरसा। बेरोजगारों को रोजगार हेतु चलाए जा रहे रोजगार सृजन कार्यक्रम का जिले का बुरा हाल है। बैंकों की उदासीनता के कारण इस योजना मद के लक्ष्य को 75 से घटाकर 67 कर दिया गया। बावजूद इसके चालू वित्तीय वर्ष में योजना का बुरा हाल है। वित्तीय वर्ष समाप्त होने में मात्र डेढ़ महीना समय शेष है, परंतु मात्र नौ लोगों को अबतक भुगतान हुआ और 39 आवेदन बैंक से स्वीकृत हुआ है। ऐसे में इस योजना का लक्ष्य पूरा होना कठिन प्रतीत हो रहा है। जिला प्रशासन ने बेरोजगारों के अलावा अधिक से अधिक प्रवासियों को भी रोजगार के लिए ऋण प्रदान करने के लिए बैंकों व उद्योग विभाग को विशेष निदेश दिया था, परंतु पीएमईजीपी के आवेदक भी बैंक और उद्योग विभाग की चक्कर लगाकर थक रहे हैं, इनकी कोई सुननेवाला नहीं है।
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बैंकों से लौटाया गया 233 आवेदन
जिला साख समिति द्वारा निर्धारित लक्ष्य के विरुद्ध टास्क फोर्स कमेटी के समक्ष साक्षात्कार के लिए आए आवेदकों में 392 का परियोजना स्वीकृत किया गया। टास्क फोर्स कमेटी की अनुशंसा पर उद्योग विभाग ने इस सभी आवेदन को बैंक को तो भेज दिया, परंतु बैंकों से तरह- तरह का कारण लगाकर 233 आवेदन को लौटा दिया गया। शेष आवेदनों के निष्पादन में कुछ बैक शिथिल है, तो कुछ बिल्कुल ही उदासीन बना हुआ है। ऐसे में योजना के लक्ष्य को पूरा करना कठिन लग रहा है।
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अबतक महज 47 लाख मार्जिन मनी का हुआ उपयोग
जिले के बेरोजगारों को ऋण प्रदान करने के लिए सरकार ने सात करोड़ 20 लाख मार्जिन मनी का उपयोग करने का लक्ष्य दिया था, उसमें साढ़े दस महीना समय बीत जाने के बाद भी मात्र 39 आवेदन बैंक में स्वीकृत हुआ और नौ आवेदकों का भुगतान हुआ। इस लिहाज से मात्र 47 लाख 78 हजार मार्जिन मनी का दावा हो सका है। ज्यों-ज्यों समय करीब आ रहा है, लाभुकों की धड़कनें बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में जिले का लक्ष्य पूरा होगा या नहीं, इसपर संशय बना हुआ है।
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कुछ बैंकों की उदासीनता के कारण दर्जनों आवेदकों का आवेदन अबतक स्वीकृत नहीं हुआ है। जिलाधिकारी स्तर से इन सभी बैंकों की हिदायत दी गई है। उम्मीद है कि इसमें तेजी आएगी और वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा।
कृष्ण कुमार भारती
महाप्रबंधक, उद्योग, सहरसा।
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