जिले के 465 मजदूरों को मिला सौ दिन का रोजगार

सहरसा। प्रवासी मजदूरों को स्थानीय स्तर पर कार्य उपलब्ध कराने और अन्य मजदूरों का पलायन रोकने के लिए सरकार नीतियां तो बना रही है, परंतु वह धरातल पर नहीं उतर पा रही है। मनरेगा योजना में मजदूरी दर कम रहने और समय पर भुगतान नहीं हो पाने के कारण जहां काम मांगने वाले मजदूरों की संख्या बढ़ने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं कारण चाहे जो कुछ हों, परंतु काम मांगने वाले अधिकांश मजदूरों को प्रावधान के अनुसार सौ दिनों का रोजगार नहीं मिल पाता।

जिले के चार लाख 49 हजार जॉब कार्डधारी मजदूरों में जहां एक लाख 36 हजार मजदूरों ने काम की मांग की, वहीं काम पाने वाले एक लाख 20 हजार मजदूरों में बीते दस महीने में महज 465 को सौ दिन का रोजगार मिल सका। इससे साबित होता है कि प्रशासन के अनवरत प्रयास के बावजूद पंचायत स्तर के प्रतिनिधि इन कार्यों में रूचि नहीं ले रहे हैं।

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मानवदिवस सृजन में भी बरती जा रही लापरवाही
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चालू वित्तीय वर्ष में जिला प्रशासन ने 96 लाख मानव दिवस सृजन का लक्ष्य निर्धारित किया। जनवरी माह के पूरा होने तक 73 लाख मानव दिवस सृजन लक्ष्य के विरूद्ध महज 55 लाख मानव दिवस सृजन किया जा सका है। कई प्रखंडों मानवदिवस सृजन का कार्य बेहद ही मंथर गति से चल रहा है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में अबतक 10885 योजना लिया गया जिसमें मात्र 4446 पूर्ण हुआ और 6439 प्रक्रियाधीन है। जिले के सभी प्रखंडों के एक लाख 36 हजार 705 मजदूरों ने काम की मांग की जिसमें मात्र एक लाख 20 हजार 437 मजदूरों को ही काम दिया जा सका है।
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मांग करने वाले और काम पाने वाले मजदूरों की स्थिति
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प्रखंड- काम मांगनेवाले - काम पाने वाले मजदूर - सौ दिन रोजगार पानेवाले मजदूर
बनमा इटहरी- 7346- 6384- 29
कहरा- 7818- 6813- 00
महिषी- 11640- 9300- 06
नवहट्टा- 15783- 14170- 131
पतरघट- 11251- 10467- 06
सलखुआ- 10051- 8310- 02
सत्तरकटैया- 9707- 8164- 25
सिमरीबख्तियारपुर- 25182- 22210- 111
सोनवर्षा- 19320- 18082- 98
सौरबाजार- 18607- 16537- 57
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सौ दिन काम नहीं मिलने का मतलब यह नहीं है कि काम मांगने वाले मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है। सौ दिन काम प्राप्त करना एक तकनीकी प्रक्रिया है जिसके कारण बहुत से मजदूर इसे पूरा नहीं कर पाते। वर्तमान समय में 32 हजार से अधिक मजदूर प्रतिदिन काम पा रहे हैं। काम मांगनेवाले मजदूरों को हर हाल में काम उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए प्रशासन पूरी तरह तत्पर है।
राजेश कुमार सिंह
डीडीसी, सहरसा।
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