सहरसा। अचानक ठंड कम होने से गेहूं फसल का उत्पादन प्रभावित होने की संभावना बन गई है। हालांकि मौसम विज्ञानी का कहना है कि आने वाले समय में कड़ाके की ठंड पड़ सकती है।
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क्या कहते हैं किसान
बारा के किसान संतोष कुमार झा उर्फ विधायक ने बताया कि चार एकड़ जमीन में गेहूं फसल लगाये हैं। मगर पौधा उगते ही पीला पड़ने लगा है। कीट के प्रकोप भी फसल को क्षति पहुंच रही हैं। वहीं सिहौल के किसान शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि कर्ज लेकर तीन एकड़ में गेहूं फसल लगाये हैं कड़ी मेहनत के बाद भी फसल को पीला होते देख काफी चितित हूं।
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कीट के प्रकोप से कैसे बचाएं गेहूं फसल
गेहूं फसल में लगे कीट से छुटकारा पाने के लिए विज्ञानी ने बताया कि गेहूं की खड़ी फसल में दीमक का प्रकोप बलुआही खेत में होती है। इसके रोकथाम के लिए क्लोरपाईरी फॉस 50 ईसी एवं साइप्रमेथरीन पांच ईसी की डेढ़ लीटर कीट प्रति हेक्टेयर की दर से सिचाई के स्त्रोत ( इरिगेशन पाइप जिससे पटवन के लिए खेत में उपयोग किया जाता है) के साथ कीटनाशी पात्र के ढक्कन में छेद कर छोटा धागा लगाकर बूंद बूंद गिराकर किया जा सकता है। वहीं कजरा कीट के शिशु रात में गेहूं के नवजात पौधे की जड़ों को काटकर गिरा देते हैं जिससे पौधे सूख जाती हैं। यह कीट दिन में दिखाई नहीं देती है। इससे प्रभावित गेहूं फसल को क्लोरपाईरीफॉस 50 ईसी एवं साइप्रमेथरीन पांच ईसी का डेढ़ मिली लीटर मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव कर इसे रोका जा सकता है।
डॉ. श्याम बाबू साहब, कीट विज्ञानी, मंडन भारती कृषि महाविद्यालय अगवानपुर।
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कृषि विज्ञानी का है कहना
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मौसम में गर्माहट होने के कारण कल्ले कम फूटेंगे, साथ ही साथ गेहूं के फसल की ग्रोथ में कमी होगी। दिन में तापमान बढ़ जाने से खेतों में नमी कम होने लगेगी जिससे गेहूं फसल उत्पादन कम होगी।
डॉ आशुतोष सिंह, मृदा विज्ञानी ,
मंडल भारती कृषि महाविद्यालय अगवानपुर।
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मौसम विज्ञानी का है कहना
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अगले पांच दिनों तक मौसम शुष्क रहने की संभावना है। अगले पांच दिन के पूर्वानुमान के अनुसार अधिकतम तापमान 24-26 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 9-12 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। इस दौरान आसमान साफ और पाछिया हवा चलने का अनुमान है। अभी के पूर्वानुमान के अनुसार बढ़ते तापमान गेहूं कि फसल को प्रभावित कर सकता है। इस समय गेहूं के फसल को बढ़ने के लिए शीत यानी कुहासा अच्छा रहता है। दिसंबर माह में बोए गए गेहूं जो 20-25 दिन का हुआ हो उसमें सिचाई करने से फसल को बचाया जा सकता है।
संतोष कुमार , मौसम विज्ञानी
क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान,
अगवानपुर।
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