मधेपुरा। भ्रष्टाचार के आरोप में अधिकारी से लेकर कर्मी तक निगरानी के शिकार हो रहे हैं। इस बार जिला नीलामवाद पदाधिकारी के हेड क्लर्क बिदेश्वरी सादा को निगरानी विभाग ने 50 हजार रुपये रिश्वत लेते पकड़ा है। वह निगरानी विभाग के नौंवा शिकार है। उसने सेवानिवृत्त शिक्षक निरंजन कुमार से केस खत्म करने के एवज में राशि मांगी थी। 50 हजार रुपये घूस लेते निगरानी विभाग के डीएसपी सुरेंद्र कुमार माउवार ने उसे रंगे हाथ दबोच लिया।
डीएसपी के नेतृत्व में 15 सदस्यीय टीम ने उदाकिशुनगंज चौक स्थित एक दुकान पर उसे घूस लेते पकड़ा। बिदेश्वर सादा सहरसा जिले के सलखुआ थानाक्षेत्र के सहुरिया का निवासी है।
इससे पहले आठ अधिकारी व कर्मी को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इसके पहले 15 अक्टूबर 2019 को मुरलीगंज में पदस्थापित मनरेगा के कनीय अभियंता अभिषेक आनंद निगरानी विभाग ने दबोचा था। उसे नाढ़ी पंचायत के उप मुखिया त्रिभुवन यादव से 30 हजार रुपये घूस लेते गिरफ्तार किया गया था। कनीय अभियंता अभिषेक आनंद के खिलाफ सात निश्चय योजना में मापी पुस्तिका पूर्ण करने के एवज में रिश्वत मांगने की शिकायत की थी। 29 जून 2019 को मुरलीगंज के ही विद्युत विभाग के कनीय अभियंता राधेश्याम कुमार को निगरानी विभाग ने पकड़ा था। राधेश्याम कुमार ने रघुनाथपुर पंचायत के दिनकर कुमार से आटा चक्की में विद्युत कनेक्शन देने के एवज में 45 हजार रुपये की मांग की थी। वहीं, नवंबर 2017 में सदर बीडीओ दिवाकर कुमार को भी निगरानी विभाग ने इंदिरा आवास सहायक से 50 हजार रुपये घूस लेने के आरोप में पकड़ा था। आवास सहायक नीतीश कुमार ने इसकी शिकायत निगरानी विभाग से की थी। रिश्वत लेने के आरोप में निगरानी की टीम ने तीन पदाधिकारी सहित एक अमीन को भी गिरफ्तार किया है।
मालूम हो कि मधेपुरा में रिश्वत के आरोप में निगरानी विभाग का पहला शिकार एक जिलाधिकारी हुए थे। उसके बाद उत्पाद अवर निरीक्षक जिला सहकारिता पदाधिकारी व जमीन सर्वे कार्य में जुटे एक अमीन भी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। हेड कर्ल्क की गिरफ्तारी के बाद अब निगरानी का अगला शिकार कौन होता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा। निगरानी की लगातार हो रही कार्रवाई व भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़े जाने के बाद भी विभिन्न विभाग के पदाधिकारी व कर्मी रिश्वत लेने से बाज नहीं आ रहे हैं।
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