मधेपुरा। बीएन मंडल विवि अंतर्गत टीपी कॉलेज में मानसिक स्वास्थ्य व युवा वर्ग विषय पर ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) रमेशचंद्र सिन्हा ने कहा कि स्वास्थ्य का अर्थ काफी व्यापक है। जब मनुष्य मानसिक रूप से स्वस्थ होगा तभी वह समाज व राष्ट्र की उन्नति में अपना सर्वोत्तम योगदान दे सकेगा। मनुष्य के साथ-साथ समाज व राष्ट्र को भी मानसिक रूप से सबल व सक्षम बनाने की जरूरत है। समाज व राष्ट्र की आर्थिक उन्नति के साथ-साथ उसके मानसिक एवं आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी ध्यान देना जरूरी है। डॉ. गीता दूबे ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य मन की एक ऐसी स्थिति जिसमें व्यक्ति को सीमाओं का एहसास रहता है, वह जीवन के सामान्य तनावों का सामना कर सकता है। लाभकारी व उपयोगी रूप से काम कर सकता है और समाज के प्रति योगदान करने की क्षमता रखता है। योग विशेषज्ञ डॉ. कविता भट्ट शैलपुत्री (उत्तराखंड) ने कहा कि युवा होने का उम्र से नहीं, बल्कि मानसिकता से संबंध है जो व्यक्ति मानसिक रूप से मजबूत है और जो सकारात्मक सोच के साथ जीवन में निरंतर आगे बढ़ना चाहता है, वही युवा है, भले ही उसकी उम्र कुछ भी क्यों न हो। रांची की सीएस पूजा शुक्ला ने कहा कि शारीरिक स्वास्थ्य एवं मानसिक स्वास्थ्य दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। स्वास्थ्य शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है और मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
इससे पहले कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य डॉ. केपी यादव ने की। संचालन कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. सुधांशु शेखर एवं शोधार्थी सारंग तनय ने किया। इसके पूर्व अकादमिक निदेशक प्रोफेसर डॉ. एमआइ रहमान ने स्वयंसेवकों को मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के टिप्स दिए। प्रांगण रंगमंच की युवा कवि सिखा कुमारी अग्रवाल ने अपनी कविताओं के माध्यम से रक्तदान के महत्व को समझाया।
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