बक्सर : नगर के विभिन्न स्थानों पर इन दिनों गेसिग का धंधा परवान पर है। इस धंधे में जहां गरीब परिवार उजड़ रहा है वहीं चंद मुट्ठी भर लोग रोज मालामाल हो रहे है। जबकि इस धंधे पर नकेल कसने में डुमरांव पुलिस पूरी तरह विफल है। शहर के सफाखाना रोड, शीला सिनेमा, जंगल बाजार रोड, ठठेरी बाजार, स्टेशन रोड, लालगंज कड़वी, डुमरांव स्टेशन, टीचर ट्रेनिग स्कूल, छठिया पोखरा, दक्षिण टोला, हरिजी के हाता सहित दर्जनों स्थानों पर इन दिनों गेसिग का धंधा जोरों पर है।
चाय-पान की दुकान पर भी इस धंधे में शामिल लोगों को देखा जा सकता है। पुलिस की मिलीभगत से चल रहा यह कारोबार नगर में बिना डर भय के संचालित हो रहा है। इसके बदले में एजेंट द्वारा पुलिस को राशि का भी भुगतान किया जाता है। जिसके कारण गेसिग का खेल संचालित करने वाले एजेंट द्वारा बेखौफ होकर इस धंधे को अंजाम दिया जा रहा है।
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रिजल्ट जानने को बेताब रहते हैं जुआरी
जुआरी घंटे-आधे घंटे में रिजल्ट जानने को बेताब रहते है कि 0-9 तक के अंक में कौन अंक खेला। इस धंधा में माहिर लोग अपने अनुमान के अनुसार 0-9 अंक में किसी एक अंक पर पैसा लगाते है। यदि उस व्यक्ति द्वारा लगाया गया अंक फंस जाता है तो उसके बदले में उसे प्रति टिकट 100 रुपये मिलता है। इस प्रकार लोग एक बार में दो-चार नंबर पर लगभग 50-100 टिकट तक खेलते है। कोई जुआरी तो 500 टिकट खरीदते है। एक टिकट का मूल्य 12 रुपये में फुल एवं 6 रुपये में हाफ है। इसका सबसे अधिक शिकार गरीब तबका के लोग है। जो रातोंरात अमीर बनने के चक्कर मे अपनी मेहनत की कमाई दाव पर लगाते है।
एजेंट के पास रहती है सूची
गेसिग का खेल सुबह 6 से प्रारंभ होता है जो शाम 6 बजे तक चलता है। प्रत्येक 20-20 मिनट पर इसका रिजल्ट निकलता है। इस धंधा को संचालित करने वाले एजेंट के पास घंटा दर घंटा की सूची रहती है। जिसे देख कर जुआरी अनुमान लगा कर नंबर लेते है। कभी कभार तो एजेंट द्वारा ही निश्चित कर दिया जाता है कि इस समय में कौन सा नंबर खेलेगा। उस पर भी लोग नंबर लगा देते है।
खेल में कोडिग का होता है इस्तेमाल
एजेंट द्वारा अक्षर को कोडिग बर्ड के रूप में इस्तेमाल करते है। इस धंधे से जुड़े लोगों को पता चल जाता है कि एजेंट या जुआरी क्या कहना चाह रहा है। इसमें 2 को बत्तख, 3 को त्रिशूल, 4 को बाउंड्री, 5 को कांग्रेस, 6 को छक्का, 7 को हॉकी, 8 को डमरू, 9 को नहला कोडिग शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहीं एजेंट मोटर साइकिल एवं पैदल चलते-फिरते लोगों का नंबर लिख लेता है। इस धंधा में न सिर्फ अमीर बल्कि गरीब तबके के लोग भी शामिल है। रिक्शा चालक के साथ ही युवा वर्ग भी दिन भर में दो-चार टिकट खेल लेते है।
काफी पुरानी है डुमरांव में जुआ की प्रथा
नगर में जुआ के अड्डे का संचालन एक संगठित गिरोह द्वारा किया जा रहा है। इन अड्डों पर प्रतिदिन लाखों हजारों रुपये के दाव लगते है। डुमरांव में जुआ की कुप्रथा काफी पुराना है। सैकड़ों घरों के तबाही का कारण बन चुका जुआ का अड्डा भी पुलिस के संरक्षण में चल रहा है। जिन जगहों पर जुआ का अड्डा संचालित है वहां जुआरियों को भरपूर व्यवस्था दी जाती है।
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