सहरसा। स्वच्छता अभियान के तहत सरकार ने नगरीय क्षेत्र के घर- घर से सूखा और तरल कचरा इकट्टा करने और उसके निस्तारण की व्यवस्था तो की परंतु सहरसा नगर में यह व्यवस्था मुकम्मल तरीके से लागू नहीं हो पाया है। नगरपरिषद के सफाईकर्मी सीटी बजाकर घर- घर से कूड़ा इकट्ठा तो कर रहे हैं, लेकिन इसके ढोनेवाली अधिकांश गाड़ी का ढक्कन खुला ही रहता है, जो मोहल्ले से बदबू फैलाते सड़क पर निकलती है। कचरा के डंपिग का कोई स्थाई जगह नहीं है। कभी सुलिंदाबाद सड़क के किनारे, कभी हवाई अड्डा के बगल में तो राजकीय कन्या उच्च विद्यालय के बगल में इसे फेंक दिया जाता है। सड़क किनारे कचरा फेंके जाने के कारण इसके दुर्गंध से लोग राहगीर परेशान रहते हैं। पहले सुलिंदबाद की सड़क को निशाना बनाया गया। जब इस रास्ते दिवारी में मुख्यमंत्री का आगमन हुआ, तो उसे बदलकर दूसरे- दूसरे स्थान पर डंप कर दिया जाता है। एकतरफ मोहल्लों से कचरा हटाया जा रहा और दूसरी तरफ सड़कों के किनारे से उठते दुर्गंध के कारण महामारी की संभावना बन रही है।
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निस्तारण प्लांट की अबतक नहीं हुई खरीद
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कूड़ा निस्तारण के लिए शहर के बटराहा और पीजी सेंटर के बगल में दो स्थान निर्धारित किया गया है, परंतु सहरसा नगर परिषद द्वारा इसके लिए प्लांट की खरीद नहीं की जा सकी है। जिससे अभी पूरे शहर का कचरा ठेला से केन्द्रीय विद्यालय के पीछे जमा किया जाता है और उसे डंपर में उठाकर गोबरगरहा के समीप सरकारी जमीन पर जमा किया जा रहा है। जिसके दुर्गंध से आने- जानेवाले लोग परेशान हैं। अबतक नगर परिषद द्वारा कचरा डंपिग और उसके निस्तारण की व्यवस्था नहीं की गई है।
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