इस साल भी आलू रखने के लिए भटकेंगे किसान

सहरसा। कोसी प्रमंडल में बड़े पैमाने पर आलू की खेती होने के कारण किसानों को लाभांवित करने के उद्देश्य से स्थापित बिस्कोमान शीत भंडार विगत आठ वर्ष से बंद है। हर वर्ष भंडार चालू होने की उम्मीद से किसान आलू की खेती करते हैं, परंतु यह चालू नहीं हो पा रहा है और औने- पौने दाम में आलू बेचकर उत्पादक मुनाफा कमाने के बदले लागत मूल्य भी निकाल पाने में असफल साबित हो रहे हैं। ऐसे में कोसी प्रमंडल के किसान आलू की खेती से भी विमुख होने लगे हैं। इस इलाके से जहां प्रदेश के अन्य भाग में आलू भेजा जाता था। इस वर्ष भंडार खुलने की उम्मीद से इलाके में किसानों ने बड़े पैमाने पर आलू की खेती की है, परंतु भंडार चालू नहीं हो सका। आलू रखने के लिए किसान जगह- जगह भटक रहे हैं, परंतु रखने के लिए जगह नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में इस वर्ष भी कोसी के किसानों का आलू माटी के मोल बिकने की संभावना बन गई है।


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बिजली कटने के कारण बंद है शीत भंडार
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कुसहा त्रासदी के कारण वर्ष 2008 में जिन किसानों ने आलू का भंडारण किया था, आवागमन व अन्य कारणों से इसका उठाव नहीं किया। जिसके कारण भंडार में रखा सारा आलू सड़ गया और इसके संचयनशुल्क की भी वसूली नहीं हो सकी। वर्ष 2009 में इलाके में बाढ़ का असर होने और आलू की खेती कम होने के कारण बिस्कोमान के तत्कालीन प्रबंधक ने जिलाधिकारी आर लक्ष्मणन को इस वर्ष भंडार को बंद रखने का आग्रह किया था। परंतु जिलाधिकारी की स्वीकृति नहीं मिलने के कारण भंडार बंद नहीं हुआ। और चार हजार मिट्रिक टन क्षमतावाले इस गोदाम में मात्र 60 मीट्रिक टन आलू रखा जा सका। जबकि बिजली की खपत के कारण लगभग 80 लाख बिजली बिल बकाया हो गया। इस वर्ष से बकाया बिल का सूद चलने लगा और वर्ष 2013 तक बिल और सूद को मिलाकर लगभग दो करोड़ बिजली बिल बकाया हो गया। तत्पश्चात विभाग ने विद्युत कनेक्शन विच्छेद कर कर दिया। तब से शीत भंडार बंद पड़ा हुआ है।
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बकाए के कारण निजी कंपनी भी भंडार लेने से कर रहा इंकार
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कोसी प्रमंडल का एकमात्र बिस्कोमान शीत भंडार वर्ष 1986 से कार्य करना प्रारंभ किया। इसी वर्ष से इलाके में आलू का उत्पादन भी बढ़ता रहा। कुछ वर्षों में आलू भंडारण के लिए शीत भंडार का जगह कम पड़ने लगा था। परंतु दो करोड़ बकाया रहने के कारण भंडार छह वर्षों से बंद है। मामला लोक अदालत में चल रहा है। इस वर्ष इसके निष्पादन की संभावना थी, जो नहीं हो सका। बिजली बिल बकाया रहने के कारण निजी कंपनियां भी इसे हस्तगत करने से इंकार कर रही है। ऐसे में इस वर्ष भी भंडार खुलने की संभावना नहीं दिखाई दे रहा है।
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शीत भंडार के बंद होने के कारण आलू उत्पादकों को बेहद परेशानी हो रही है। अत्यधिक सूद के कारण भंडार की ओर से लोक अदालत में मामला भी दायर किया गया है। निष्पादन नहीं होने के कारण इसे चालू करने में कठिनाई हो रही है। विभाग इस दिशा में अभी भी प्रयासरत है। इस वर्ष इसके निष्पादन की संभावना है।
प्रदीप कुमार सिंह
सेवानिवृत प्रबंधक, बिस्कोमान, सहरसा।
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