सहरसा। मुख्यालय स्थित पुराने जर्जर भवन को बिना नीलामी के तोड़कर मलबा बेचे जाने के मामले में बीडीओ सवालों के घेरे में आ गए हैं। मुख्यालय प्रांगण के पुराने भवन को जमींदोज कर दिया गया और मलबा का उठाव भी बिना नीलामी के होने लगा। मामले को लेकर अब प्रखंड प्रमुख ललिता देवी ने सोनवर्षा के बीडीओ को एक पत्र के माध्यम से पूछा गया है कि पुराने भवन को किसके आदेश से तोड़ा गया है। बिना नीलामी किए किस आधार पर खुले बाजार में मलबों को बेचा जा रहा है। प्रमुख ने भवन तोड़ने के लिए दिए गए सक्षम पदाधिकारी के आदेश की प्रति उपलब्ध कराने को कहा है। उक्त मामले को लेकर बीडीओ कैलाशपति मिश्र का कहना था कि पुराना भवन डीएम के आदेश पर तोड़े जाने की जानकारी तो है लेकिन मलबा बिना नीलामी के बेचा जा रहा है इसकी जानकारी नहीं है। जबकि भवन तोड़े जाने से लेकर मलबे के रख रखाव का कार्य करा रहे स्थानीय निवासी साक्षरता कर्मी सुधीर यादव का कहना है कि उन्हें भवन तोड़े जाने का आदेश बीडीओ द्वारा ही दिया गया था। साथ ही इस एवज कार्य मजदूरी देने की बात बताई गई थी। हालांकि मलबे को बेचने के बात से दरकिनार करते हुए कहा कि एक व्यक्ति द्वारा थोड़े कार्य को लेकर ईंट की मांगी गई थी तो उसे दे दिया गया। मालूम हो कि लगभग 60 साल पुराने तोड़े गए भवन में से ईंट सरिया लकड़ी के चौखट व पल्ला की कीमत लाखों में आंकी जा रही है। इस भवन की नियम के तहत नीलामी की जाती तो सरकार के खातें में लाखों रुपए राजस्व में जमा हो सकती थी। जबकि सूत्रों बताते है कि न तो भवन तोड़े जाने से पूर्व इसकी निविदा निकाली गई और न ही प्राप्त मलबे को बेचे जाने की ही प्रक्रिया की गई है।
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