लखीसराय । बाहरी उम्मीदवारों को अपने सिर-आंखों पर बिठाने वाली सूर्यगढ़ा की जनता ने दल-बदलू नेताओं को सबक सिखाने का इतिहास भी कायम किया है। दल बदलकर सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले नेताओं को हार का ही मुंह देखना पड़ा है। सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र से भाकपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले नेता के कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने पर मुंह की खानी पड़ी है। प्रसिद्ध भाकपा नेता पंडित कार्यानंद शर्मा की पुत्रवधु सुनैना शर्मा भाकपा की टिकट पर दो बार वर्ष 1969 में एवं 1972 में चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची। सुनैना शर्मा ने दोनों ही बार पीएसपी के भागवत प्रसाद मेहता को पराजित की। परंतु वर्ष 1977 के चुनाव में सुनैना शर्मा द्वारा भाकपा छोड़कर कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ने पर सूर्यगढ़ा की जनता ने उन्हें नकार दिया। उक्त चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में रामजी प्रसाद महतो ने जीत हासिल की। दूसरे स्थान पर पहली बार जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले प्रसिद्ध नारायण सिंह रहे। जबकि सुनैना शर्मा तीसरे स्थान पर रहीं। इसके बाद तो सुनैना शर्मा का राजनीतिक कैरियर ही समाप्त हो गया। वर्ष 1985 में कांग्रेस के अलख शर्मा से चुनाव हारने वाले भाकपा के सतीश कुमार को 1990 में जीत मिली। उन्होंने भाजपा के प्रसिद्ध नारायण सिंह को पराजित किया। इसके बाद वर्ष 1995 में सतीष कुमार भाकपा छोड़कर समता पार्टी के टिकट से चुनाव लड़े। उन्हें भी सूर्यगढ़ा की जनता ने पूरी तरह नकार दिया। उक्त चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में प्रह्लाद यादव ने जीत हासिल की। उन्होंने भाजपा के प्रसिद्ध नारायण सिंह को पराजित किया। इस तरह सूर्यगढ़ा की जनता ने दल बदलू नेताओं के लिए एक मिसाल कायम किया है।
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