बक्सर : वैसे तो मां के दूध की तुलना किसी भी चीज से नहीं की जा सकती। मां का दूध शिशु के लिए सर्वोपरि आहार होता है। कहते हैं, शिशु के जन्म के बाद मां का पहला दूध रक्षा कवच का काम करता है। परन्तु, आज अगर कहा जाए आधुनिकता की चकाचौंध इस पर भी हावी होने लगी है तो शायद अतिशयोक्ति नहीं होगी। अब इसे पाश्चात्य संस्कृति का असर कहें या आधुनिक होने का ढोंग लेकिन आज की माताएं बच्चों को दूध पिलाने से विमुख होने लगी हैं। जीरो फीगर की चाह उन्हें बच्चों के ममत्व से दूर कर रहा है या यूं कहें कि वे इसके महत्व को नहीं समझतीं। जबकि, मेडिकल साइंस मां के दूध की तुलना अमृत से करता है।
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सिविल सर्जन डॉ.जितेन्द्र नाथ कहते हैं, स्तनपान नवजातों एवं बच्चों में प्रारंभिक रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास कर उन्हें अन्य गंभीर रोगों से सुरक्षित करता है। इसलिए प्रत्येक साल स्तनपान के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने के लिए 1 अगस्त से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। स्तनपान सप्ताह के दौरान आशा, आंगनबाड़ी सेविका एवं एएनएम घर-घर जाकर माताओं को स्तनपान करने के लिए जागरूक करती हैं। इसका आयोजन इस बार भी होगा। सीएस ने बताया कि स्तनपान सप्ताह के दौरान ये इसके लाभ के बारे में जानकारी देंगी। वहीं, सामुदायिक कार्यकर्ता धात्री माताओं को भी स्तनपान के लाभ के बारे में बताएंगे। सिविल सर्जन ने बताया कि स्वस्थ पृथ्वी के लिए करें स्तनपान का समर्थन को इस वर्ष के थीम के रूप में चुना गया है।
कोलोस्ट्रम से भरपूर होता है मां का प्रथम दूध
सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ.भूपेन्द्र नाथ कहते हैं, मां के प्रथम दूध में कोलोस्ट्रम होता है, जो गाढ़ा, पीला दूध के साथ मिलता है। इसी लिए कहा जाता है कि बच्चे के जन्म के आधा घंटा के अंदर उसे जरूर स्तनपान कराना चाहिए। चिकित्सक कहते हैं यह दूध संक्रमण से बचाता है, प्रतिरक्षण करता है और रतौंधी जैसी बीमारी से भी बचाव करता है। इसमें निहित जरूरी पोषक तत्व, एंटीबॉडीज, हार्मोन, प्रतिरोधक कारक और ऐसे आक्सीडेंट मौजूद होते हैं, जो नवजात शिशु के बेहतर विकास और स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं।
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स्तनपान से कम हो जाता स्तन कैंसर का खतरा
बच्चे को स्तनपान कराने वाली महिला को स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है। साथ ही स्तनपान डायरिया, निमोनिया एवं कुपोषण से बच्चों को सुरक्षित रखने में कारगर साबित होता है। इससे गर्भाशय के कैंसर का ़खतरा भी नगण्य हो जाता है। इसलिए हर मां को चाहिए कि वह अपने बच्चे को स्तनपान कराएं। अगर वे ऐसा नहीं करती हैं तो बच्चे की सेहत से खिलवाड़ करती हैं। चिकित्सक कहते हैं, मां के दूध में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा और विटामिन की मात्रा बच्चे की उम्र के अनुसार बदल जाती है। कृत्रिम दूध में भी ये गुण रहते हैं लेकिन वे बदलते नहीं हैं।
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बक्सर में 31.4 प्रतिशत बच्चे ही पीते हैं जन्म के एक घंटे के भीतर मां का दूध
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के आंकड़ों पर गौर करें तो बक्सर में 31.4 प्रतिशत बच्चे ही जन्म के बाद एक घंटे के भीतर मां का गाढ़ा पीला दूध पीते हैं। बताया जाता है कि यह आंकड़ा नालंदा का सबसे बेहतर है और वहां 47.1 प्रतिशत बच्चे इस दूध का सेवन करते हैं। जबकि, पटना में 39, रोहतास में 20.4, भोजपुर में 28 और कैमूर में 40.9 प्रतिशत बच्चे जन्म के एक घंटे के भीतर का दूध पान करते हैं। जन्म से लेकर छह तक बच्चों को दूध पिलाने के आंकड़े पर गौर करें तो बक्सर में 56.2, भोजपुर में 57, रोहतास में 42.6, कैमूर में 34.1, पटना में 35.4 और नालंदा में 36.7 प्रतिशत बच्चों को जन्म से लेकर छह माह तक केवल स्तनपान कराया जाता है।
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शिशु के जन्म के बाद मां का पहला दूध रक्षा कवच का काम करता है। विटामिन, एन्टीबॉडी व पोषक तत्वों से भरपूर मां के दूध का कोई विकल्प नहीं होता। इसलिए जन्म के एक घंटे के अंदर बच्चे को मां का दूध जरूर पिला देना चाहिए।
डॉ.जितेन्द्र नाथ, सिविल सर्जन, बक्सर।
Posted By: Jagran
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