दुनियाभर अभी कोरोना महामारी फैली हुई है। इसके चलते बहुत सी ऐसी चीज़े है जिनका ध्यान हमें रखना होगा। जैसे- प्रत्येक साल जुलाई में आंख आने की बीमारी का प्रकोप प्रारम्भ हो जाता है।
इसे अंग्रेज़ी में कंजेक्टिवाइटिस बोला जाता है। इस साल भी चिकित्सकों के पास आये दिन कई मरीज इस कठिनाई को लेकर पहुंच रहे हैं या फोन द्वारा सम्पर्क कर रहे हैं। वही अभी कोरोना महामारी भी चल रही है इसलिए डॉक्टर भी कोरोना को देखते हुए व अधिक एहतियात बरतने का सुझाव दे रहे है।
अब ये जानना व जरुरी हो जाता है, की आखिर कंजेक्टिवाइटिस होता क्या है तो आपकी जानकारी के लिए बता दे, की आंख के ग्लोब के ऊपर (बीच के कॉर्निया क्षेत्र को छोड़कर) एक पतली झिल्ली चढ़ी होती है जिसे कंजेक्टिवा बोला जाता है। कंजेक्टिवा में किसी भी प्रकार के संक्रमण (बैक्टीरियल, वायरल, फंगल या एलर्जी) होने पर सूजन हो जाती है जिसे कंजेक्टिवाइटिस कहते है। इन रोगो के 3 प्रकार होते है, जैसे- एलरजिक, बैक्टीरियल और वायरल। भड़कते मौसम के साथ होने वाले वायरल कंजेक्टिवाइटिस होता है।
वही इसमें गर्मी से सर्दी, या सर्दी से गर्मी के वक़्त वातावरण में निष्क्रिय वायरल सक्रिय हो जाते हैं। वायरल कंजेक्टिवाइटिस ज्यादा खतरनाक नहीं होता है। यह चार से सात दिनों में अच्छा हो जाता है। लेकिन, एलरजिक और बैक्टीरियल कंजेक्टिवाइटिस अधिक खतरनाक होता है। धूल, गंदगी और ज्यादा गर्मी की वजह से एलर्जी और बैक्टेरिया से यह रोग उत्पन्न होता है। यदि ठीक समय पर इसका उपचार न किया जाए तो यह आँखों को पूरी तरह से ख़राब कर देता है। जिससे आंखों में नासूर होने की आसार व अधिक बढ़ जाती है। इसलिए जरुरी है की हम अपनी आँखों का ख्याल रखे तथा आई फ्लू हो जाने पर घर से बाहर न निकले।