नई दिल्ली: कोरोना वायरस के टीके सिर्फ जान बचाने के लिए बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी जरूरी होते जा रहे हैं. हाल ही में तैयार एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अगर समय से भारत को कोरोना वायरस के टीके नहीं मिले तो इसके नतीजे देश की अर्थव्यवस्था पर दिखेगा.
मौजूदा वित्तीय वर्ष में पड़ेगा बुरा असर वैश्विक ब्रोकिंग कंपनी बैंक ऑफ अमेरिका सिक्युरिटीज के मुताबिक यदि टीका आने में लंबा समय लगा तो भारतीय अर्थव्यवस्था 2020-21 में 7.5 प्रतिशत तक सिकुड़ने का अनुमान है. हालांकि, परिस्थितियां यदि उम्मीद के मुताबिक रहती हैं तो तब ब्रोकिंग कंपनी ने भारतीय अर्थव्यवस्था में चार प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया गया है.
कंपनी के अर्थशास्त्रियों ने एक हफ्ते के भीतर ही देश की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि को लेकर अपने अनुमान को संशोधित किया है. रपट के मुताबिक देश में आर्थिक गतिविधियों में आयी गिरावट के चलते यदि उम्मीद के अनुरूप स्थिति रहती है तब भी अर्थव्यवस्था चार प्रतिशत सिकुड़ने का अनुमान है.
हालांकि, इससे पहले कई विश्लेषकों ने भारतीय अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष के दौरान पांच प्रतिशत तक गिरावट आने का अनुमान व्यक्त किया है. रपट में कहा गया है कि कोरोना वायरस का टीका खोजा जाने को लेकर वैश्विक और घरेलू दोनों जगहों पर कई स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन टीका तैयार होने को लेकर अभी तक किसी समयसीमा की घोषणा नहीं की गई है.
रपट में कहा गया है, 'यदि वैश्विक अर्थव्यवस्था को कोविड-19 के टीके का इंतजार एक साल तक करना पड़ता है तो देश की वास्तविक जीडीपी 7.5 प्रतिशत तक गिर सकती है' विशेषज्ञों ने अनुमान जताया कि देश में आर्थिेक हालात को बेहतर बनाने के लिए 2020-21 में भारतीय रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में दो प्रतिशत की और कटौती कर सकता है.